प्रतिबंध का स्वागत पर विकल्प भी दें

By Edited By: Publish:Sat, 27 Sep 2014 09:41 PM (IST) Updated:Sat, 27 Sep 2014 09:41 PM (IST)
प्रतिबंध का स्वागत पर विकल्प भी दें

देवरिया : जनपद में प्रवाहित होने वाली घाघरा व राप्ती, छोटी गंडक व कुर्ना नाले का पानी प्रदूषित हो रहा है। नदियों में प्रतिमा विसर्जन भी नदियों के प्रदूषित होने के कारणों में प्रमुख है। गंभीर रूप धारण करते जा रहे जल प्रदूषण को लेकर बृद्धिजीवी व प्रतिमा बनाने वाले लोग भी चिंतित हैं। सभी लोग प्रतिमा विसर्जन के लिए नए विकल्पों पर विचार कर रहे हैं।

आदि अंबे आराधना समिति नंदना वार्ड के पदाधिकारी राजन जायसवाल ने कहा कि नदियों के प्रदूषण को लेकर लोगों में जागरुकता आई है। प्रतिमा निर्माण में रासायनिक रंगों के बजाय हर्बल रंगों का प्रयोग बढ़ने लगा है। जायसवाल क्रिकेट क्लब आजाद नगर के पदाधिकारी धर्मेन्द्र जायसवाल उर्फ सोनू ने कहा कि विसर्जन पर रोक लगाना सराहनीय प्रयास है लेकिन इससे पहले नदियों में प्रवाहित होने वाले कचरे पर रोक लगनी चाहिए। लिटिल स्टार दुर्गा पूजा समिति हिंदी साहित्य परिषद के पदाधिकारी रंजीत सैनी कहते हैं कि दुर्गा पूजा हिंदू आस्था से जुड़ा है। नदियों में प्रतिमा विसर्जन प्रतिबंधित करने के पहले विकल्प उपलब्ध कराना चाहिए। जय मां शक्ति बाल गोपाल संघ जायसवाल धर्मशाला के पदाधिकारी नीरज मद्धेशिया का कहना है नदियां हमारे लिए जीवन दायिनी हैं। हम लोगों को उनका संरक्षण करना चाहिए। प्रदूषणमुक्त बनाने के लिए प्रशासन को कठोर कानून बनाने के साथ ठोस उपाय भी करना चाहिए।

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चित्र परिचय..27डीईओ-29 : डा. ओम प्रकाश शुक्ल

बीआरडीबीडी पीजी कालेज के पर्यावरणविद् डा.ओम प्रकाश शुक्ल के अनुसार प्रतिमा विसर्जन आस्था से जुड़ा मसला है। इस पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने से पहले अन्य पहलुओं पर भी विचार जरुरी है। प्रतिमा के रंगों से निकला केमिकल पानी का जहरीला बना रहा है तो मिट्टी घुलने नदी की जल अवशोषित करने की क्षमता घटती है। जहरीले पानी के कारण जलीय जंतुओं का अस्तित्व खतरे में पड़ गया है। प्रतिमा में प्रयुक्त होने वाले रासायनिक रंगों के बजाय हर्बल रंगों का प्रयोग हो। इसके लिए लोगों को जागरुक भी किया जाना चाहिए।

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