प्राकृतिक जल स्त्रोतों से खिलवाड़ पड़ रहा महंगा

जागरण संवाददाता चित्रकूट शुक्रवार को भले विश्व जल दिवस कागजों पर मन गया हो लेकिन लगाता

By JagranEdited By: Publish:Fri, 22 Mar 2019 11:05 PM (IST) Updated:Fri, 22 Mar 2019 11:05 PM (IST)
प्राकृतिक जल स्त्रोतों से खिलवाड़ पड़ रहा महंगा
प्राकृतिक जल स्त्रोतों से खिलवाड़ पड़ रहा महंगा

जागरण संवाददाता, चित्रकूट : शुक्रवार को भले विश्व जल दिवस कागजों पर मन गया हो लेकिन लगातार अनदेखी के कारण ग्रामीण इलाकों में जल स्तर नीचे गिर रहा है।

सरकारी हैंडपंप दम तोड़ रहे हैं। बानगी के तौर पर कभी बिना चलाए लगातार पानी देने वाला विकास खंड कर्वी के कालुपुर पाही व मरजादपुर गांव की सरहद पर लगा हैंडपंप भी उसी कतार पर खड़ा हो गया है। इसके पीछे जल दोहन की बढ़ती भयावहता साफ तौर पर सामने है। तीन साल पहले तक यह हैंडपंप बारिश के दौरान लगातार पानी देता था लेकिन अब ठूंठ बन चुका है। जिले में कई जगह समस्या

जिले की मानिकपुर तहसील के पाठा क्षेत्र व राजापुर के तिरहार इलाके में पानी समस्या अर्से से है। इन इलाकों में पेयजल संकट को लेकर गर्मी में त्राहिमाम की स्थिति बन जाती है। ऐसे में कर्वी ब्लॉक के मरजादपुर का यह हैंडपंप सबके आकर्षण का केंद्र था लेकिन अब उसकी भी सांसें उखड़ चुकी हैं। ग्रामीण बृज नंदन यादव बताते हैं कि प्राकृतिक जलधारा से जुड़े हैंडपंप में पानी भरने को लोग दूर-दूर से आते थे। बैलगाड़ी पर पानी ले जाते थे लेकिन मशीन चोरी होने के बाद उसकी स्थिति खराब है। बारिश में गेड़ुवा नाला का जलस्तर बढ़ने पर पिचकारी छूटती हैं। विशेषज्ञों का नजरिया

दस साल पहले गोशाला बनने के दौरान सांसद निधि से हैंडपंप लगा था। गेड़ुवा नाला के किनारे लगा हैंडपंप प्राकृतिक जल स्त्रोत के हल्के प्रयास से पानी देने लगता था। दस्यु समस्या के कारण गोशाला बंद करनी पड़ी। इसी दौरान हैंडपंप भी खराब हो गया।

-राजवैद्य पंडित कृष्ण कांत शास्त्री, गोशाला प्रमुख व महामंत्री चित्रकूट सेवा संस्थान। हैंडपंप की जल धारा सीधे स्त्रोत से जुड़ी होने के कारण बेहतरी थी। सफाई कराने के बाद हैंडपंप पुराने स्वरूप में आ सकता है। किसी प्राकृतिक जल स्त्रोत को बचाए रखना हम सबकी जिम्मेदारी है।

-डा. साधना चौरसिया, पर्यावरण विशेषज्ञ, महात्मा गांधी चित्रकूट ग्रामोदय विश्वविद्यालय। हैंडपंप को फिर से पुनर्जीवित करने की कोशिश से लोगों का प्राकृतिक जल स्त्रोतों के प्रति उत्साह बढ़ेगा। प्रशासन ऐसे जल स्त्रोतों को चिह्नित करे ताकि समस्याएं दूर हो सकें। -वेदांत शुक्ला, पर्यावरण छात्र, चित्रकूट।

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