दौड़ना छोड़िए, चलने को तरस रहे गोद लिए गांव
(केस-एक) गांव में शौचालय अधूरे हैं। किसी में शीट नहीं लगी है तो कई जगह टैंक निर्माण
(केस-एक)
गांव में शौचालय अधूरे हैं। किसी में शीट नहीं लगी है तो कई जगह टैंक निर्माण लटका है। कुछ जगह कंडे भरे हैं। नालियों व गलियों में सफाई नहीं हो रही है। - महेंद्र मिश्र, निवासी असोह, पहाड़ी ब्लॉक
(केस-दो)
ग्राम पंचायत को गोद लिए जाने की जानकारी नहीं है। अब तक नाली से पानी बहकर सड़क पर ही भर रहा है। इसका हल नहीं निकाला जा सका है। विकास कार्यों में कोई अलग स्थिति नजर नहीं आती है। सब पुराने ढर्रे पर है। -हरी जायसवाल, पाही, कर्वी।
(केस-तीन)
विकास कार्यों को लेकर खास बदलाव नहीं हुए हैं। नाली, खड़ंजा सहित दूसरी समस्याएं भी बरकरार हैं। अफसर कब आते हैं, इसकी जानकारी तक नहीं हो पाती है। इससे विकास की हकीकत समझ सकते हैं।- पुरुषोत्तम ¨सह, संग्रामपुर कर्वी।
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जागरण संवाददाता, चित्रकूट : वर्ष 2017-18 के लिए जिले में 88 गांव गोद लेकर अफसरों ने विकास के पंख लगाने का दावा किया पर हकीकत इतर है। अभी तक इन गांवों में गोद से नीचे उतरने जैसे हालात नहीं बन सके हैं। भले स्वास्थ्य, शिक्षा, सफाई, खाद्य व रसद, विकास, बाल विकास व पोषण सहित अन्य पहलुओं की मानीट¨रग अफसर कर रहे हैं पर ग्रामीणों को सुधार महसूस नहीं हो रहा है। संबंधित गांवों के ज्यादातर को बैठकों, कार्यों की जानकारी तक नहीं है।
इन अफसरों के पास दो-दो गांव
डीएम, सीडीओ, उप कृषि निदेशक, अधिशासी अभियंता ¨सचाई, जल निगम, लोक निर्माण, प्रांतीय खंड, ग्राम्य विकास अभिकरण, लघु ¨सचाई, विद्युत, जिला कार्यक्रम अधिकारी, जिला सहायक निबंधक, जिला दिव्यांग जन सशक्तीकरण अधिकारी, सहायक अभियंता जल निगम, जिला उद्यान अधिकारी, अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी, सीएमओ, भूमि संरक्षण अधिकारी, डीएसओ, जिला सेवायोजन अधिकारी, बाल विकास परियोजना अधिकारी, डीपीआरओ, मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी, जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी, जिला प्रोबेशन अधिकारी, जिला समाज कल्याण अधिकारी, डीआइओएस समेत 44 अफसर। ''चितरा गोकुलपुर व खोह गांव गोद लिए थे। इनमें लगातार मानीट¨रग से हालात सुधरे हैं। मार्च 2019 वित्तीय वर्ष समापन तक बेहतरी दिखने लगेगी। -विशाख जी., जिलाधिकारी चित्रकूट।