चित्रकूट महिमा अमित कही महामुनि गाय..

जागरण संवाददाता चित्रकूट राष्ट्रीय रामायण मेला (प्रांतीय कृत) के तीसरे दिन संगोष्ठी में

By JagranEdited By: Publish:Wed, 06 Mar 2019 11:37 PM (IST) Updated:Wed, 06 Mar 2019 11:37 PM (IST)
चित्रकूट महिमा अमित कही महामुनि गाय..
चित्रकूट महिमा अमित कही महामुनि गाय..

जागरण संवाददाता, चित्रकूट : राष्ट्रीय रामायण मेला (प्रांतीय कृत) के तीसरे दिन संगोष्ठी में विद्वानों ने चित्रकूट महिमा अमित कही महामुनि गाय से बोलने की शुरुआत की। चित्रकूट की महिमा का गान हुआ। सभी ने प्रभु श्रीराम के परिवार की साढ़े 11 मीटर ऊंची प्रतिमा कामदगिरि पर लगाने की हुंकार भरी।

प्रयागराज के वरिष्ठ साहित्यकार डा. सभापति मिश्र ने कहा कि राम कथा भारतीय जन मानस के हृदय का कंठहार है। चित्रकूट भगवान राम की तपोस्थली है। हिदी साहित्यकार डा. चन्द्रिका प्रसाद दीक्षित 'ललित' ने कहा कि चित्रकूट सृष्टि का आदि केंद्र है। विश्व का एक ऐसा तीर्थ है, जहां सभ्यता, संस्कृति की ²ष्टि से सबसे प्राचीन धरोहरें मिलती हैं।विध्य पर्वत श्रेणी के आसपास बसा यह क्षेत्र हिमालय से भी पुराना है। इसकी सभ्यता सिधु घाटी से प्राचीन सिद्ध होती है। चित्रकूट की गुफाएं, यहां मिलने वाले शैल चित्र व विशाल दुर्ग की रचना आदिकाल से जुड़ी है। उदय शंकर दुबे भदोही ने कहा कि बुंदेलखंड के सरीला रियासत (हमीरपुर) के कमल कुंवरि ने अन्य ग्रंथों की रचना के साथ तुलसी चरित्र ग्रंथ की रचना की थी, जिसका संपादन राम नरेश त्रिपाठी ने किया था। कहा कि दो महत्वपूर्ण ग्रंथ बुंदेलखंड के दो कवियों में एक ओरछा राज्य के दरबारी कवि श्री हरिदास (हरिजन) ने तुलसी चिता मणि ग्रंथ लिखा, जो अभी तक प्रकाशित नहीं हुआ है। यह तुलसी के जीवन चरित्र से संबंधित एक महत्वपूर्ण प्रबंध काव्य है। वहीं, चित्रकूट के राम भरोसे तिवारी ने भी राम चरित्र की महत्ता बताई। साढ़े 11 साल चित्रकूट में रहे ब्रह्मांड के नायक

प्रयागराज से आए डा. सीता राम सिंह विश्व बन्धु ने राष्ट्र नायक सरदार पटेल की प्रतिमा स्थापित कराने के लिए प्रधानमंत्री मोदी की सराहना की। साथ में मांग उठाई कि ब्रह्मांड नायक भगवान श्रीराम चित्रकूट कामदगिरि पर मां सीता, अनुज लक्ष्मण समेत साढ़े ग्यारह वर्ष तक रहे। इसलिए कामदगिरि पर साढ़े 11 मीटर की राम, सीता और लक्ष्मण की प्रतिमा स्थापित होनी चाहिए। पंडित सनत कुमार मिश्र मानस किकर, मध्य प्रदेश ग्वालियर के डा. श्री लाल पचौरी, महाराष्ट्र मुंबई के पंडित वीरेंद्र शास्त्री ने भी विचार रखे।

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