यातनाओं के चलते घर छोड़ भाग रहे मासूम

रेलवे सुरक्षा बल और चाइल्ड के हवाले से जो आंकड़े हम आप के समक्ष रखने जा रहे हैं वह हैरान करने वाले हैं साथ ही ¨चताजनक भी। गरीबी और यातनाआों के चलते प्रतिदिन एक मासूम बच्चा घर छोड़कर भाग रहा है।

By JagranEdited By: Publish:Tue, 18 Sep 2018 07:01 PM (IST) Updated:Tue, 18 Sep 2018 07:01 PM (IST)
यातनाओं के चलते घर छोड़ भाग रहे मासूम
यातनाओं के चलते घर छोड़ भाग रहे मासूम

जागरण संवाददाता, पीडीडीयू नगर (चंदौली): रेलवे सुरक्षा बल और चाइल्ड के हवाले से जो आंकड़े आपके समक्ष रखने जा रहे हैं वह हैरान करने वाले हैं साथ ही ¨चताजनक भी। गरीबी और यातनाओं के चलते प्रतिदिन एक मासूम घर छोड़कर भाग रहा। आरपीएफ, जीआरपी, स्वयं सेवी संस्थाओं और रेल यात्रियों की मदद से विगत 19 माह में 971 किशोर और किशोरियों को ट्रेनों और स्टेशनों से पकड़ा जा चुका है। ऐसे बच्चों के लिए पीडीडीयू जंक्शन काफी मुफीद है। यहां से प्रतिदिन गुजरने वाली दर्जनों ट्रेनें उनकी अनंत यात्रा का जरिया बन रहीं हैं।

जीआरपी, आरपीएफ और चाइल्ड लाइन के हाथ वर्ष 2017 में 505 बच्चे लगे जो घरों से भागे थे। कई बच्चों को यात्रियों ने पकड़कर आरपीएफ को सौंपा था। बहरहाल अधिकांश को उनके परिवार के हवाले कर दिया गया। जिनके घर वाले नहीं आए उन्हें बाल सुधार गृह भेजना पड़ा। इस वर्ष अब तक 366 बच्चे पकड़े जा चुके हैं, जिनमें 262 किशोर या बच्चे और 108 किशोरियां हैं। ट्रेनों और स्टेशनों से बरामद बच्चों में 37 जीआरपी और 50 आरपीएफ के हाथ लगे। शेष स्वयं सेवी संस्थाओं और यात्रियों की तत्परता की बदौलत पकड़े जा सके। 356 बच्चों को उनके घरवालों को सौंप दिया गया जबकि 10 को बाल सुधार गृह भेजा गया। जीआरपी पोस्ट प्रभारी वीएन मिश्रा ने बताया पकड़े गए बच्चों से पूछताछ में उनके घर छोड़ने के दो ही कारण सामने आए हैं गरीबी और यातना। माता-पिता या अध्यापक की मार के डर से बच्चे भाग जाते हैं। या तो गरीबी के चलते कम उम्र में ही काम का बोझ बच्चों पर लाद दिया जाता है। इससे भी वह भागते हैं। चाइल्ड लाइन के सुंदर दीप बताते हैं कि घर छोड़कर भागने वाले बच्चों के गलत हाथों में जाने का भी खतरा बना रहता है।

गया जंक्शन पर भी चाइल्ड लाइन

बेसहारा और घर छोड़कर भागने वाले बच्चों की देखरेख के लिए गया जंक्शन पर भी चाइल्ड लाइन की शाखा शुरू कर दी गई है। आरपीएफ पोस्ट प्रभारी वीएन मिश्रा ने बताया कि मंडल में पड़ने वाले बिहार राज्य के स्टेशनों पर चाइल्ड लाइन न होने से दिक्कत आती थी, जो फिलहाल दूर हो चुकी है।

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