धान के कटोरे का ब्रांड बनेगा जीरा-32

चावल की महीन व सुगंधित प्रजाति जीरा-32 धान के कटोरे का ब्रांड बनेगी। जिला प्रशासन ने प्रजाति का पेटेंट कराने की पहल की है। पेटेंट कराने के लिए शीघ्र आवेदन किया जाएगा। इसके लिए विशेषज्ञों की भी मदद ली जा रही है। ऐसा माना जा रहा है कि आवेदन के कुछ दिनों बाद ही पेटेंट मिल जाएगा। चावल की ब्रांडिग कर जिले के विशेष उत्पाद के रूप में पहचान दिलाई जाएगी। ताकि इसकी खेती करने वाले किसानों को अच्छा-खासा मुनाफा दिलाया जा सके।

By JagranEdited By: Publish:Thu, 08 Aug 2019 05:31 PM (IST) Updated:Thu, 08 Aug 2019 05:31 PM (IST)
धान के कटोरे का ब्रांड बनेगा जीरा-32
धान के कटोरे का ब्रांड बनेगा जीरा-32

जागरण संवाददाता, चंदौली : चावल की महीन व सुगंधित प्रजाति जीरा-32 धान के कटोरे का ब्रांड बनेगी। जिला प्रशासन ने प्रजाति का पेटेंट कराने की पहल की है। पेटेंट कराने के लिए शीघ्र आवेदन किया जाएगा। इसके लिए विशेषज्ञों की भी मदद ली जा रही है। ऐसा माना जा रहा है कि आवेदन के कुछ दिनों बाद ही पेटेंट मिल जाएगा। चावल की ब्रांडिग कर जिले के विशेष उत्पाद के रूप में पहचान दिलाई जाएगी। ताकि इसकी खेती करने वाले किसानों को अच्छा-खासा मुनाफा दिलाया जा सके।

दो दशक पहले तक चावल की जीरा-32 प्रजाति की जिले में व्यापक स्तर पर खेती की जाती थी। लेकिन खेती को अनुकूल वातावरण व उपज का उचित मूल्य न मिलने की वजह से किसानों का धीरे-धीरे मोहभंग होता गया। इसके चलते जीरा-32 का रकबा साल दल साल घटता चला गया। वर्तमान में जिले के गिने-चुने किसान ही इस प्रजाति की खेती कर रहे हैं। तकरीबन तीन हजार हेक्टेयर भूमि में प्रजाति की खेती होती है। जिला प्रशासन ने चावल की बेहतरीन प्रजाति की खेती का रकबा बढ़ाने की योजना बनाई है। इसके तहत जीरा-32 का जिले की विशेष प्रजाति के तौर पर पेटेंट कराया जाएगा। इसके लिए जिला प्रशासन जल्द ही आवेदन करेगा। जिला प्रशासन ने पेटेंट कराने को हाथ-पांव मारना शुरू कर दिया है। पद्मश्री से नवाजे गए विशेषज्ञ रजनीकांत से इसको लेकर सलाह भी ली जा रही है। रजनीकांत वाराणसी के 11 उत्पादों को भौगोलिक संकेतक दिला चुके हैं। जिला प्रशासन को उनसे काफी उम्मीदें हैं। विभागीय अधिकारियों की ओर से प्रक्रिया को गोपनीय रखा जा रहा है। इसके चलते अभी कुछ भी कहने को तैयार नहीं है।

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क्या है भौगोलिक संकेतक

बनारसी साड़ी, मथुरा का पेड़ा, आगरा का पेठा पूरे देश में अपनी अलग पहचान के लिए प्रसिद्ध है। इन उत्पादों को स्थान विशेष के जोड़कर देखा जाता है। इसको ही उत्पादों का भौगोलिक संकेतक कहा जाता है। इसी प्रकार जीरा-32 को भी भौगोलिक संकेतक दिलाकर पेटेंट कराया जाएगा।

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