नक्सल इलाके में पेयजल की किल्लत
जासं, चकिया (चंदौली): गर्मी का आगाज होते ही तेजी से भूजल स्तर खिसकने लगा है। खासकर सुदूरवती
जासं, चकिया (चंदौली): गर्मी का आगाज होते ही तेजी से भूजल स्तर खिसकने लगा है। खासकर सुदूरवर्ती, पर्वतीय इलाके में भूगर्भ जल स्तर खिसकने से पेयजल की समस्या से नक्सल प्रभावित गांव के लोग हाल परेशान हो गए हैं। अधिकांश निजी हैंडपंप जवाब दे दिए हैं। सरकारी हैंडपंप की भी कमोवेश कुछ ऐसी ही दशा हो गई है। पर्वतीय इलाके के अधिकांश कुएं सूख गए है। दर्जनों कुंओं में मामूली जल स्तर होने से मटमैला पानी निकल रहा है।
गर्मी के शुरुआती दौर में नक्सल प्रभावित चाड़ी आकिल, गढ़वा, मुबारकपुर, हिनौती, जोगिया, करवदिया, दाउदपुर, पंडी, मुडहुआ समेत दर्जनों गांवों में शुद्ध पेयजल का हाहाकार मचना शुरू हो गया है। सरकारी हैंडपंपों की स्थिति खराब है। महीनों से खराब पड़े हैंडपंप की मरम्मत कराने में ग्राम पंचायतें हाथ खड़े कर दिए हैं। ग्राम प्रधानों का कहना है कि तेरहवें वित्त के खाते पर रोक लगे रहने से हैंडपंपों की मरम्मत कराने में असमर्थ हैं। खैर जो भी हो लेकिन तेजी से गिरते भू जलस्तर से आम जन के अलावा पशुओं पीने के पानी की गंभीर समस्या उत्पन्न होने लगी है। शिकारगंज इलाके के अधिकांश बंधी समेत जलाशय, तालाब, पोखरों में धूल उड़ने लगी है। कई ग्राम पंचायतों ने पिछले वर्ष ग्रामीणों को पेयजल की समस्या से निजात दिलाने के लिए पानी टैंकर खरीदा लेकिन आरोप है कि उसका उपयोग निजी कार्यो में पंचायत प्रतिनिधि कर रहे हैं। खराब पड़े हैंडपंपों के प्रति खाते पर संचालन बंद होने को कहकर पल्ला झाड़ ले रहे हैं। ग्रामीणों का कहना है कि समय रहते पेयजल की समस्या से निजात नहीं दिलाया गया तो कई गांव के लोगों का यहां से पलायन होना तय हैं। खण्ड विकास अधिकारी सरिता ¨सह ने कहा कि ग्राम पंचायत के टैंकरों का निजी उपयोग करने वाले पंचायतों की जांच कराकर प्रधान के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।