गन्ना कटा नहीं, पलेवा भी गया सूख

¨चगारवठी बवाल का दंश अन्नदाताओं को झेलना पड़ रहा है। गेहूं की बुवाई व गन्ने की कटाई न होने से किसान खासे परेशान हैं।

By JagranEdited By: Publish:Thu, 13 Dec 2018 10:39 PM (IST) Updated:Thu, 13 Dec 2018 10:39 PM (IST)
गन्ना कटा नहीं, पलेवा भी गया सूख
गन्ना कटा नहीं, पलेवा भी गया सूख

बुलंदशहर: ¨चगारवठी बवाल का दंश अन्नदाताओं को झेलना पड़ रहा है। गेहूं की बुवाई व गन्ने की कटाई न होने से किसान खासे परेशान हैं। खेतों में काम करने वाले पुरुष और युवा गांव से नदारद हैं। अनेक किसानों को गन्ना काटने के बाद गेहूं की बुवाई करनी है, जबकि कई किसानों की पलेवा (बुआई के लिए खेत तैयार करना) सुख गया है। गेहूं की बुवाई का समय निकलता जा रहा है। फसल नहीं बोई जाएगी तो बच्चे क्या खाएंगे? इन सब समस्याओं से तीनों गांवों के बुजुर्ग परेशान नजर आ रहे हैं।

¨चगरावठी ग्राम प्रधान के अहाते में बैठे गांव के कुछ बुजुर्ग महाव, ¨चगरावठी और नयाबांस के किसानों की खेती की समस्या को लेकर मंथन कर रहे थे। रणजीत ¨सह का कहना है कि गोकशी किसी ने की और बवाल किसी ने किया, लेकिन दंश हम जैसे तमाम निर्दोष लोगों को झेलना पड़ रहा है। पुलिस कभी भी आती है और किसी को भी उठाकर ले जाती है। काफी पिटाई भी करती है। इस डर से सभी परिवार वालों ने किशोर व युवा बेटों को घर से बाहर भेज दिया है। जगदीश ¨सह ने बताया कि गन्ना कटाई और ढुलाई का काम मेहनत का है, इसको बुजुर्ग कर नहीं सकते और महिलाएं अकेले कितना काम करेंगी। महिलाएं जंगल में जाती हैं और पशुओं के चारे की व्यवस्था करके चली आती हैं। जब गेहूं बोया ही नहीं जाएगा तो अनाज कहां से आएगा और बच्चे क्या खाएंगे? पुलिस-प्रशासन को हमारा भी ध्यान रखना चाहिए। गुरुवार को ग्रामीणों का दर्द जानने के लिए पहुंचे राष्ट्रीय लोकदल के स्याना विधानसभा अध्यक्ष एवं सेहरा प्रधान अजीत सिरोही ने किसानों की समस्याएं सुनी। उन्होंने बुजुर्गो को आश्वासन दिया कि जल्द ही एक पार्टी का एक प्रतिनिधि मंडल किसानों को साथ लेकर पुलिस-प्रशासन से बात करेगा, ताकि किसानों का उत्पीड़न न हो।

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