जल संकट की ओर बढ़ रहा जिला

जागरण संवाददाता, बिजनौर : गंगा और दर्जनों नदियों वाला जिला बिजनौर लगातार जल संकट की ओर बढ़ रहा है। ज

By JagranEdited By: Publish:Tue, 21 Mar 2017 10:43 PM (IST) Updated:Tue, 21 Mar 2017 10:43 PM (IST)
जल संकट की ओर बढ़ रहा जिला
जल संकट की ओर बढ़ रहा जिला

जागरण संवाददाता, बिजनौर : गंगा और दर्जनों नदियों वाला जिला बिजनौर लगातार जल संकट की ओर बढ़ रहा है। जिले का भूजल स्तर लगातार गिरता जा रहा है। चार ब्लाक क्षेत्र डार्क जोन में हैं और कुछ मुहाने पर। भूजल का दोहन इसी तरह होता रहा तो आने वाले दिनों में भयंकर हालात होने से इनकार नहीं किया जा सकता।

उत्तराखंड से निकलते ही गंगा उत्तर प्रदेश में प्रवेश करती है। गंगा के अलावा रामगंगा, मालन, गांगन, खो, गूलाह, बान समेत दर्जन भर नदियां और नाले बिजनौर से होकर बहते हैं। नदियों की भरमार के बावजूद जनपद में भूजल स्तर लगातार गिरता जा रहा है। जनपद में 12 ब्लाक क्षेत्र हो गए हैं। इनमें से जलीलपुर, बुढ़नपुर, नूरपुर और नहटौर ब्लाक क्षेत्र डार्क जोन में हैं। यानि इन क्षेत्रों में भूजल का दोहन रीचार्ज से ज्यादा है। हम लगातार भूमि से पानी का दोहन कर रहे हैं लेकिन इसके मुकाबले बहुत कम पानी जमीन में जा रहा है। इसके अलावा कुछ और ब्लाक भी डार्क जोन होने की कगार पर हैं।

खत्म होते जा रहे जल संरक्षण के प्राकृतिक स्त्रोत

बिजनौर : भूजल संरक्षण के प्राकृतिक जल स्त्रोत तालाब खत्म होते जा रहे हैं। जिले में तालाब, पोखरों और झीलों की स्थिति पर गौर करें तो कभी जब जनपद की आधार खतौनी बनी थी उस समय इनकी संख्या 23 हजार 795 थी और इनका दायरा लगभग 31 हजार 538 हेक्टेयर में फैला हुआ था, लेकिन इनमें से करीब तीन हजार तालाबों पर अब भी कब्जा है और बाकी का क्षेत्रफल काफी सिमट गया है। इसके अलावा गंगा और रामगंगा के दोआब क्षेत्र में बसे बिजनौर जिले में इन दोनों नदियों के अलावा करीब एक दर्जन बरसाती नदियां जिले से होकर बहती हैं लेकिन इनके भी कंठ पूरी तरह सूखे हुए हैं।

सतत प्रयास की आवश्यकता

वर्धमान कालेज बीएड विभाग के अध्यक्ष डा. सीएस शुक्ला कहते हैं कि पूरी दुनिया में जल संकट भयावह समस्या के रूप में उभर रहा है। भारत में भी यह समस्या लगातार बढ़ रही है। कई क्षेत्र ऐसे हैं जहां गर्मियों में पानी का संकट खड़ा हो जाता है। अपने जिले में भी भूजल का स्तर गिर रहा है और प्रदूषित हो रहा है। इस स्थिति से निपटने के लिए सतत प्रयास करने होंगे। लोगों को जन संरक्षण के प्रति जागरूक होना होगा।

किया जाए वर्षा जल का संचयन

समाजसेवी मयंक मयूर का कहना है कि भूजल स्तर को बढ़ाने के लिए वर्षा जल संचयन पर जोर देना होगा। बारिश का पानी नालियों में बहकर निकल जाता है। इसे जमीन में पहुंचाने के लिए कदम उठाने होंगे। रेन वाटर हार्वे¨स्टग सिस्टम के साथ ही प्राकृतिक जल स्त्रोतों को संरक्षित करना होगा। तालाब, पोखर, झीलें आदि पर किए गए कब्जों को हटवाकर उन्हें पुराने स्वरूप में वापस लाना होगा।

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