डेढ़ सौ से अधिक अमान्य विद्यालयों पर लगेगा अर्थदंड

जागरण संवाददाता, ज्ञानपुर (भदोही): जनपद में बगैर मान्यता के संचालित अमान्य विद्यालयों के खिलाफ कार्र

By JagranEdited By: Publish:Mon, 24 Sep 2018 06:31 PM (IST) Updated:Mon, 24 Sep 2018 06:31 PM (IST)
डेढ़ सौ से अधिक अमान्य विद्यालयों पर लगेगा अर्थदंड
डेढ़ सौ से अधिक अमान्य विद्यालयों पर लगेगा अर्थदंड

जागरण संवाददाता, ज्ञानपुर (भदोही): जनपद में बगैर मान्यता के संचालित अमान्य विद्यालयों के खिलाफ कार्रवाई को लेकर चल रह कयासों पर विराम लग गया। शिक्षा निदेशक बेसिक शिक्षा विभाग उत्तर प्रदेश डा सर्वेंद्र विक्रम बहादुर ¨सह ने स्पष्ट दिशा निर्देश जारी करते हुए ऐसे विद्यालयों पर एक लाख रुपये अर्थदंड लगाने को कहा है। चिन्हित डेढ़ सौ से अधिक अमान्य विद्यालयों में अर्थदंड अधिरोपित करने का रास्ता साफ हो गया है। इसके साथ ही 70 से अधिक संचालकों ने शासनादेश के मुताबिक मान्यता के लिए आवेदन भी कर दिया है।

दरअसल, परिषदीय प्राथमिक व पूर्व माध्यमिक विद्यालयों सहित कांवेंट व नर्सरी विद्यालयों में नए शिक्षण सत्र की शुरुआत होते ही जगह-जगह स्थित तमाम विद्यालय उत्कृष्ट शिक्षा का दावा करने के साथ संचालित हो रहे हैं, जबकि उनके यहां सुविधाएं तो दूर विद्यालय संचालन की मान्यता तक नहीं हैं। उधर बगैर मान्यता के चलने वाले ऐसे विद्यालयों के खिलाफ सत्र के शुरुआत में ही अभियान चलाकर कार्रवाई करने का निर्देश दिया गया था। इसके बाद भी अमान्य विद्यालय के संचालकों पर किस व्यवस्था के तहत कार्रवाई हो अथवा यदि जुर्माना भी वसूला जाता है तो उसे कहां जमा किया जाएगा आदि-आदि मुद्दों को लेकर सवाल उठते रहे हैं। निदेशक ने स्पष्ट निर्देश जारी कर विभागीय अधिकारियों के कयासों पर विराम लग गया। गाइडलाइन में कहा गया है कि अमान्य विद्यालयों के संचालकों से एक लाख रुपये तक अर्थदंड की कार्रवाई की जाए। साथ ही इस धनराशि को मान्यता वाले लेखा शीर्षक कोड में जमा कराया जाय। निदेशक का पत्र मिलते ही जिला बेसिक शिक्षा विभाग में तैयारी भी शुरू हो चुकी है। सभी खंड शिक्षा अधिकारियों की ओर से उपलब्ध कराए गए अमान्य स्कूलों की सूची को कंपाइल किया जा रहा है। इसके आधार पर चिन्हित गैर मान्यता विद्यालय संचालक पर जुर्माना की कार्रवाई की जाएगी।

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कामधेनु साबित हो रहे हैं अमान्य विद्यालय

खंड शिक्षा अधिकारियों के लिए तो अमान्य विद्यालय कामधेनु साबित हो रहे थे। बार-बार नोटिस की कार्रवाई कर सांप भी मर जाए और लाठी भी न टूटे की कहावत चरितार्थ करते थे। हथेली गर्म होते ही उनके नोटिस फाइलों में ही उलझ कर रह जाता था। सुरियावां आदि क्षेत्रों में अमान्य विद्यालय बंद भी कराए गए थे लेकिन वह भी कागजों में सिमट कर रह गया।

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