पुलिस की क्लोजर रिपोर्ट निरस्त, अग्रिम विवेचना का आदेश

जालसाजी के मामले में पुलिस की ओर से न्यायालय में दाखिल क्लोजर रिपोर्ट का मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत ने निरस्त करते हुए प्रभारी कोतवाली भदोही को अग्रिम विवेचना का आदेश दिया है। इस मामले में सुरियावां थाने में विवादित भूमि को एक शिक्षण संस्था के नाम पर फर्जी तरीके से बंधक बनाने के आरोप में भदोही भाजपा विधायक रवींद्र त्रिपाठी उनके पिता विक्रमादित्य त्रिपाठी समेत चार अन्य के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया था।

By JagranEdited By: Publish:Sat, 16 Nov 2019 07:56 PM (IST) Updated:Sat, 16 Nov 2019 07:56 PM (IST)
पुलिस की क्लोजर रिपोर्ट निरस्त, अग्रिम विवेचना का आदेश
पुलिस की क्लोजर रिपोर्ट निरस्त, अग्रिम विवेचना का आदेश

जागरण संवाददाता, ज्ञानपुर (भदोही) : जालसाजी के मामले में पुलिस द्वारा न्यायालय में दाखिल क्लोजर रिपोर्ट को सीजेएम कोर्ट ने निरस्त कर दिया है। उन्होंने प्रभारी कोतवाली भदोही को अग्रिम विवेचना का आदेश दिया है। सुरियावां थाने में विवादित भूमि पर एक शिक्षण संस्था के नाम पर फर्जी तरीके से बंधक बनाने के आरोप में भदोही भाजपा विधायक रवींद्र त्रिपाठी, उनके पिता विक्रमादित्य त्रिपाठी समेत चार अन्य के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया था।

चौगुना निवासी कृष्णानंद तिवारी ने मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत में वाद दाखिल किया कि गाटा संख्या 126 रकबा में वह सह खातेदार है, जिसमें विक्रमादित्य का अंश साढ़े तीन बिस्वा है। आरोप है कि विक्रमादित्य और उनके लड़के भदोही विधायक रवींद्रनाथ त्रिपाठी ने विक्रमादित्य बालिका उच्चतर माध्यमिक विद्यालय को एक कथित संस्था बना लिया। जाली दस्तावेजों के आधार पर भाजपा विधायक ने सभी अंशधारकों की सहमति के बगैर संपूर्ण भूमि का स्वामित्व स्वयं के नाम कर लिया। संस्था के नाम पर एक जाली अनुबंध तैयार कर तत्कालीन डीआइओएस आनंदकर पांडेय द्वारा स्वीकृति भी प्राप्त कर ली गई है। कई बार शिकायत के बावजूद थाने में मुकदमा पंजीकृत नहीं किया गया। वादी ने अदालत का दरवाजा खटखटाया है। न्यायालय ने पत्रावली में उपलब्ध साक्ष्यों के आधार पर भाजपा विधायक व उनके पिता के अलावा भाई अरविद तिवारी, सचिद्र तिवारी व सुभाषचंद्र तिवारी के अलावा दस्तावेज तैयार करने वाले चंद्रजीत यादव के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कर विवेचना करने का आदेश दिया था। मामला भदोही कोतवाली से संबंधित होने के कारण विवेचना स्थानांतरित कर दी गई थी। पुलिस ने मामले की विवेचना कर फाइनल रिपोर्ट कोर्ट में दाखिल कर दिया था। जिसके विरुद्ध वादी मुकदमा द्वारा विरोध याचिका दाखिल कर कथन किया था कि पुलिस ने विधिसंगत ढंग से विवेचना नहीं किया है।

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