घरों में अदा की गई अलविदा की नमाज

मस्जिदों में पांच लोगों को नमाज पढ़ने की मिली थी अनुमति जिला प्रशासन ने घरों में नमाज अदा करने के लिए की थी अपील

By JagranEdited By: Publish:Fri, 07 May 2021 11:38 PM (IST) Updated:Fri, 07 May 2021 11:38 PM (IST)
घरों में अदा की गई अलविदा की नमाज
घरों में अदा की गई अलविदा की नमाज

जागरण संवाददाता, बस्ती: कोरोना क‌र्फ्यू के चलते माहे रमजान के अलविदा की नमाज इस बार भी घरों में अदा की गई। कोरोना को लेकर सरकार की ओर से जारी गाइडलाइन के अनुसार मस्जिदों में सिर्फ पांच लोग ही नमाज पढ़ सके।

अलविदा की नमाज को लेकर पुलिस-प्रशासन ने भी पूरी तैयारी की हुई थी। अधिकारियों ने महामारी के बढ़ते प्रकोप और कोरोना क‌र्फ्यू का हवाला देते हुए मुस्लिम समुदाय के लोगों से गुरुवार को ही घरों में ही नमाज अदा करने की अपील की थी। वहीं मुस्लिम धर्मगुरुओं ने भी कोरोना महामारी को देखते हुए घरों में रहकर ही नमाज अदा करने का अनुरोध किया था। वहीं जिला प्रशासन ने मस्जिदों में कोरोना को लेकर जारी सरकारी गाइडलाइन के अनुसार पांच लोगों को ही नमाज अदा करने की अनुमति दी थी। ऐसे में सभी मस्जिदों में पांच-पांच अकीदतमंदों ने अलविदा की नमाज अदा की।

देईसांड प्रतिनिधि के अनुसार कोरोना संक्रमण के बढ़ते प्रकोप के चलते रमजान महीने के आखिरी शुक्रवार जिसे समुदाय के लोग अलविदा या छोटी ईद के नाम से जानते हैं वो फीकी रही। शारीरिक दूरी का पालन करते हुए महज पांच की संख्या में ही अकीदतमंदों ने मस्जिदों में अलविदा की नमाज अदा की, शेष लोगों ने अपने अपने घरों में जोहर की नमाज अदा कर रब की बारगाह में मगफिरत और कोरोना से निजात की दुआएं मांगी। बनकटी क्षेत्र के बानपुर, मुरादपुर, बजहा, अहिरौली, डिवहारी, मथौली, बरहुआं, ़िखरहुआं, बनकटी कस्बा, देवमी, नेवारी, सोभनपार आदि गांवों के मस्जिदों में कोरोना प्रोटोकॉल का पालन करते सिर्फ पांच की संख्या में अकीदतमंदों ने अलविदा की नमाज अदा की। खुदा की इबादत करने से बरसती है रहमत

जासं,बस्ती: मौलाना तसव्वुर हुसैन कासमी ने बताया कि शुक्रवार को 24वां रोजा मुक्कम हुआ। रोजेदारों ने खुदा की इबादत किया। रमजान माह में जो अल्लाह की इबादत करता है उस पर अल्लाह का करम बना रहता है। रहमतों की बारिश होती है। रमजान अल्लाह का महीना होता है। इस माह में जन्नत के दरवाजे खुले रहते हैं। रमजान में खुदा की इबादत करने वालों के सारे गुनाह माफ हो जाते हैं। गरीबों की मदद करने से सवाब कई गुना बढ़ जाता है। रमजान माह का यह तीसरा अशरा है। यह अशरा जहन्नुम की आग से बचने का होता है। जो सच्चे दिल से खुद की बारगाह में इबादत करता है उनके सारे गुनाह माफ हो जाते है। अपील किया कि कोरोना महामारी को देखते हुए लोग घरों में रहकर इबादत करें। रोजेदारों ने देश में शांति, अमन व कोरोना महमारी के समूल नाश के लिए दुआ मांगी।

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