इमाम हुसैन ने आखिरी समय में ¨हदुस्तान को किया याद

इमामबाड़ा शाबान मंजिल में आयोजित मजलिस में मौलाना अली हैदर खां ने प्रकाश डाला।

By JagranEdited By: Publish:Sat, 15 Sep 2018 11:07 PM (IST) Updated:Sat, 15 Sep 2018 11:07 PM (IST)
इमाम हुसैन ने आखिरी समय में ¨हदुस्तान को किया याद
इमाम हुसैन ने आखिरी समय में ¨हदुस्तान को किया याद

बस्ती: इमामबाड़ा शाबान मंजिल में आयोजित मजलिस में मौलाना अली हैदर खां ने कहा कि इमाम हुसैन ने आखिरी समय में ¨हदुस्तान को याद किया था। बताया जब उन्होंने देखा कि यजीदी हमारे खून के प्यासे हैं तो उन्होंने कहा था कि मुझे ¨हदुस्तान चले जाने दो। वहां के लोग धार्मिक स्वभाव के हैं और वे मेरी इज्जत करेंगे। लेकिन नवासए-रसूल के खून के प्यासों को यह भी गंवारा नहीं हुआ और उन्होंने तीन दिन तक इमाम और उनके साथियों को भूखा-प्यासा रखकर शहीद कर डाला। मौलाना हैदर ने कहा कि हमारे लिए गर्व की बात है कि इमाम हुसैन ने आखिरी समय में हमारे देश को याद किया। यही कारण है कि दुनिया में जितनी विविध तरीके से इमाम की याद भारत में मनाई जाती है वह किसी अन्य देश में नहीं है। इमाम हुसैन की याद मनाना इबादत है। यह ऐसी इबादत है जिसमें धर्म, जाति, रंग और नस्ल का कोई बंधन नहीं होता है। ऐसी मान्यता है कि इमाम हुसैन की मदद के लिए भारतीयों का एक दल कर्बला में पहुंचा था, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी। नबी का नवासा शहीद हो चुका था। ऐसा मान्यता है कि मोहर्रम का चांद होने के साथ ही इमाम हुसैन कर्बला स्थित अपना रौजा छोड़कर ¨हदुस्तान आ जाते हैं। इस दौरान वे हमारे मेहमान होते हैं। इमामबाड़ा खुर्शीद मंजिल, सगीर हैदर, रियाजुल हसन, खुर्शेद हसन व इमामबाड़ा एजाज हुसैन में भी मजलिसों का आयोजन हुआ। सोगवारों ने सोज व सलाम पेश कर कर्बला के शहीदों पर आंसू बहाया। हाजी अनवार हुसैन, हसनैन रिजवी, फरहत हुसैन, शमीम हैदर, शम्स आबिद, अतहर रिजवी, नजफी, राजू, जमील अहमद, मुन्ने, जर्रार हुसैन, मो. रफीक, जीशान रिजवी सहित अन्य लोग मजलिस में मौजूद रहे।

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