सर्वेश्वर की विद्रोही लेखनी आखिरी सांस तक मुखर रही

हिन्दी साहित्य के सशक्त हस्ताक्षर, प्रखर पत्रकार सर्वेश्वरदयाल सक्सेना को उनके पुण्य तिथि पर याद किया गया

By JagranEdited By: Publish:Sun, 23 Sep 2018 11:18 PM (IST) Updated:Sun, 23 Sep 2018 11:18 PM (IST)
सर्वेश्वर की विद्रोही लेखनी आखिरी सांस तक मुखर रही
सर्वेश्वर की विद्रोही लेखनी आखिरी सांस तक मुखर रही

बस्ती : हिन्दी साहित्य के सशक्त हस्ताक्षर, प्रखर पत्रकार सर्वेश्वरदयाल सक्सेना को उनके पुण्य तिथि पर याद किया गया। समाचार पत्र वितरक जन कल्याण सेवा समिति द्वारा आयोजित कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुये मुख्य अतिथि साहित्यकार एवं चिकित्सक डा.वी.के. वर्मा ने कहा कि बस्ती में जन्मे सर्वेश्वर दयाल सक्सेना अपनी बहुमुखी रचनात्मक प्रतिभा के साथ एक जवाब की तरह सामने आते हैं। कविता हो या कहानी, नाटक हो या पत्रकारिता, उनकी प्रतिबद्धता हर मोर्चे पर कामयाब है।

भाजपा के वरिष्ठ नेता पुष्कर मिश्र ने सर्वेश्वर दयाल सक्सेना एक बेहद संवेदनशील कवि थे, कहानी के बाद वे कविता लेखन के क्षेत्र में 1950 में आए। कम समय में उन्होंने अपने समय के लोगों में जो खास जगह दर्ज कराई, उससे वे ¨हदी कविता के प्रमुख हस्ताक्षर बन गए। 1959 में अज्ञेय के संपादन में प्रकाशित 'तीसरा सप्तक' के कवि के रूप में पहचाने गए। उनके कविता संग्रह 'खूंटियों पर टंगे लोग' पर उन्हें साहित्य अकादमी पुरस्कार भी मिला। सही अर्थों में सर्वेश्वर नई कविता के अधिष्ठाता कवियों में एक थे। अपनी जनपरक मानसिकता, सामाजिक सत्यों को उजागर करने के अनवरत प्रयास, संतुलित संवेदना और अपनी बेलाग ¨कतु भारतीय लोक परंपरा एवं संस्कृति से सीधे-सीधे जुड़ी हुई काव्यभाषा की विशिष्टता के कारण सर्वेश्वर नई कविता के प्रतिनिधि कवि माने गए।

अध्यक्षता करते हुये साहित्यकार सत्येन्द्रनाथ मतवाला ने कहा कि सर्वेश्वर ने नाटक, उपन्यास, कहानी के समान पत्रकारिता के क्षेत्र में भी अनेक ऊंचाइयां प्राप्त की लेकिन उनका कवि व्यक्तित्व ही सर्वाधिक प्रखर है। बच्चों के लिए उन्होंने काफी साहित्य लिखा। उनके दो बाल कविता संग्रह 'बतूता का जूता' एवं 'महंगू की टाई' बहुचर्चित है। एक साहित्यकार के रूप में वे सदैव याद किये जायेंगे।

सर्वेश्वरदयाल सक्सेना की पुण्य तिथि पर आयोजित कार्यक्रम को श्याम प्रकाश शर्मा, डा. डी.के. गुप्ता, लालमणि प्रसाद, डा. रामकृष्ण लाल 'जगमग' के.के. उपाध्याय आदि ने सम्बोधित किया। आयोजक जय प्रकाश गोस्वामी ने आगन्तुकों के प्रति आभार व्यक्त किया। लालमणि प्रसाद, पप्पू भैया, सतीश सोनकर, चिन्टू मिश्र, गोविन्द पाण्डेय, रामदेव राजभर, रमेश गिरी, वृजेश मिश्र, गगन पाण्डेय, विजय प्रकाश गोस्वामी, डब्लू श्रीवास्तव आदि उपस्थित रहे।

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