हमला किया तो ग्रामीणों ने तेंदुए को ट्रैक्टर से कुचल कर मार डाला Badaun News

रविवार शाम शौच को गए ग्रामीण पर हमलावर हुए तेंदुए को गांव वालों ने मार डाला। पहले लाठी-डंडों से पीटा फिर ट्रैक्टर चढ़ा दिया। तेंदुआ इससे पहले भी एक को घायल कर चुका था।

By Abhishek PandeyEdited By: Publish:Mon, 13 Jan 2020 09:51 AM (IST) Updated:Mon, 13 Jan 2020 12:58 PM (IST)
हमला किया तो ग्रामीणों ने तेंदुए को ट्रैक्टर से कुचल कर मार डाला Badaun News
हमला किया तो ग्रामीणों ने तेंदुए को ट्रैक्टर से कुचल कर मार डाला Badaun News

जेएनएन, बदायूं : रविवार शाम शौच को गए ग्रामीण पर हमलावर हुए तेंदुए को गांव वालों ने मार डाला। पहले लाठी-डंडों से पीटा फिर ट्रैक्टर चढ़ा दिया। तेंदुआ इससे पहले भी एक को घायल कर चुका था। जरीफनगर के गांव दहगवां निवासी मोहनलाल (60) अपने दामाद जयकिशन निवासी गांव गढ़िया जरीफपुर के यहां मेहमानी में आए थे। रविवार शाम को वह शौच को गए थे। इस दौरान तेंदुए ने उन पर हमला बोल दिया।

मोहन के शोर पर तेंदुआ को भीड़ ने घेरकर लाठी से वार किया। तेंदुआ ने मोहनलाल को छोड़ दिया मगर अन्य ग्रामीणों पर झपट पड़ा। अफरातफरी के बीच खेतों में जोताई कर रहे कुछ लोग ट्रैक्टर समेत वहां पहुंच चुके थे। उन्होंने ट्रैक्टर से कुचलकर तेंदुआ को मार डाला। वन रेंजर संजय रस्तोगी ने बताया कि तहरीर का फैसला अफसरों से वार्ता के बाद किया जाएगा। तेंदुए के शव का पोस्टमार्टम आइवीआरआइ में होगा। 

किशोर पर हमले के बाद से सजग थे ग्रामीण

तेंदुआ गांव में पहुंच चुका है, इसकी भनक गांव वालों को दोपहर बाद उस वक्त लगी जब गांव के 16 वर्षीय शेरसिंह पुत्र वीरेंद्र पर उसने हमला बोला था। गांव वालों ने उसे किसी तरह बचा लिया था और इसके बाद ही सतर्क हो गए थे। यही वजह रही कि जब बुजुर्ग मोहनलाल पर हमला हुआ तो गांव वालों ने पूंछ पकड़कर तेंदुए को पीछे खींचते हुए उनकी जान बचा ली।

पूरी कर रखी थी  तैयारी :  जिसके बाद कुछ देर में ही रौंदकर मार दिया। माना जाता है कि तेंदुए तराई इलाके में ही रहते हैं। कहने को यहां मालपुर का जंगल आरक्षित है लेकिन तेंदुए यहां नहीं पाए जाते। यह तेंदुआ कहां से और कब सहसवान की सरहद में दाखिल हो गया, इसका अंदाजा किसी को नहीं है। हालांकि रविवार दोपहर बाद जब उसने शेरसिंह पर घर के पास हमला किया तो परिजनों का शोर समेत गांव वालों के एकत्र होने पर उसे छोड़कर भाग निकला।

इसके बाद ही गांव वालों ने मंत्रणा कर ली थी कि तेंदुआ आ चुका है और घेराबंदी करके नहीं मारा तो जानवरों समेत इंसानों को क्षति पहुंचाने से नहीं चूकेगा। शाम को गांव वाले खेतों पर गए तो अपने ट्रैक्टर भी साथ ले गए। सुरक्षा के लिहाज से भी यह सही था।

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