'उस एक शख्स के बारे में क्या कहा जाए, कि कुछ भी कहिये मगर फिर भी कुछ रह जाए' : वसीम बरेलवी

मशहूर शायर प्रोफेसर वसीम बरेलवी की कलम ने पहली बार किसी शख्सियत की शान को बयां करने के लिए चली। उन्होंने अटल जी के लिए शेर लिखा।

By JagranEdited By: Publish:Fri, 17 Aug 2018 09:44 AM (IST) Updated:Fri, 17 Aug 2018 03:56 PM (IST)
'उस एक शख्स के बारे में क्या कहा जाए, कि कुछ भी कहिये मगर फिर भी कुछ रह जाए' : वसीम बरेलवी
'उस एक शख्स के बारे में क्या कहा जाए, कि कुछ भी कहिये मगर फिर भी कुछ रह जाए' : वसीम बरेलवी

बरेली : मशहूर शायर प्रोफेसर वसीम बरेलवी की कलम पहली बार किसी शख्सियत की शान को बयां करने के लिए चली। 'जागरण' ने जब उनसे पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के लिए प्रतिक्रिया पूछी तो आधे घंटे बाद फोन करके यह दो पंक्तियां सुनाईं-'उस एक शख्स के बारे में क्या कहा जाए, कि कुछ भी कहिये मगर फिर भी कुछ रहा जाए'।

यह शेर कहने के बाद वसीम साहब ने बताया कि अचानक ही जब अटल बिहारी वाजपेयी के बारे में खबर मिली कि नहीं रहे तो पहला मिसरा (पंक्ति) जहन से होता हुआ लब तक आ गया। सोचा तो आधे घंटे में ही शेर बन गया। वसीम बरेलवी कहते हैं-उन्हें याद नहीं कि अब से पहले किसी शख्सियत के लिए शेर कहा हो। बताते हैं कि अटल बिहारी वाजपेयी से कभी आमने-सामने मुलाकात नहीं हुई। एक बार भोपाल में आयोजित कवि सम्मेलन में मुझे भी बुलाया गया था। वहां अटल बिहारी वाजपेयी को भी आना था लेकिन, किसी वजह से मैं नहीं पहुंच पाया था। उसके बाद जिंदगी में उनसे मिलने का दूसरा मौका नहीं आ सका। हां, उनके बारे में जितना सुना और पढ़ा, वाकई वह दिलों पर राज करने वाली शख्सियत थे। उन्होंने महज राजनीतिक कुर्सियां नहीं जीतीं बल्कि लोगों के दिल भी जीते। नहीं लगता कि ऐसी कोई दूसरी शख्सियत होगी, जो विपक्षी दलों के नेताओं के लिए सर्वमान्य थी। वसीम साहब कहते हैं, अटल बिहारी वाजपेयी के लिए मेरा यह पहले कहा गया शेर भी मौजू है-'मैं बुझ गया तो हमेशा को बुझ ही जाऊंगा, कोई चिराग नहीं हूं कि फिर जला लोगे'।

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