बोले प्रोफेसर विष्णु दत्त-घुटने में प्राण फूंक सकता है आयुर्वेद
एलोपैथी घुटना प्रत्यारोपण तक ही सीमित है लेकिन आयुर्वेद अर्थराइटिस होने पर भी घुटने में प्राण फूंक सकता है।
जेएनएन, बरेली : एलोपैथी घुटना प्रत्यारोपण तक ही सीमित है, लेकिन आयुर्वेद अर्थराइटिस होने पर भी घुटने में प्राण फूंक सकता है। पंचकर्म चिकित्सा पद्धति व दवाओं के जरिए घुटनों में प्राण फूंके जा सकते हैं। डायबिटीज के होने वाले दुष्प्रभावों सहित हार्मोनल समस्याओं से भी काफी हद तक निजात दिलाने में आयुर्वेद कारगर है। यह जानकारी अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान दिल्ली से आए प्रो. विष्णु दत्त अग्रवाल ने दैनिक जागरण को विशेष बातचीत के दौरान दी।
प्रो. अग्रवाल ने बताया कि आयुर्वेद की पंचकर्म विधा में घुटने की मालिश व स्टीम बाथ के जरिए घुटने को नया जीवन दिया जा सकता है। जिसमें शहजन की छाल, गुग्गल, रासना, दशमूल, गिलोय, सोंठ, अश्वगंध आदि दवाओं से घुटने सहित शरीर को नई ऊर्जा भी दी जा सकती है।
रोकती है डायबिटीज के दुष्प्रभाव
डायबिटीज रोगी बढ़ रहे। दो दशक में यह बीमारी रोगी के अंदर टाइप वन में परिवर्तित हो जाती है। जिस कारण इंसुलिन की अलग से जरूरत पड़ती है। इस पर भी आयुर्वेद पर लगाम लगाई जा सकती है। इसके अलावा किडनी व हृदय जैसे अंगों के प्रभावित होने को भी रोका जा सकता है। किडनी के मामले में दवा के साथ गोखरू व पुर्ननवा का प्रयोग किया जाता है जबकि हार्ट के मामले में अर्जुन को दवा के साथ प्रयोग करते है।
कम कर सकती है हाई ब्लडप्रेशर
मानसिक तनाव व मोटापा हाईब्लडप्रेशर के कारणों में से एक है। सदवृत, अचार रसायन, सत्याबुद्धि के प्रयोग से हाईपरटेंशन को दूर किया जा सकता है। सर्पगंधा, ब्राम्ही, पुष्कर, अर्जुन, जटामांसी का उपयोग हार्इ्रब्लडप्रेशर के प्रभाव को कम कर सकता है। इसके अलावा हार्मोनल समस्या का निदान दे सकता है। इसके साथ ही इन दवाओं के प्रयोग से मानसिक स्रावजन विकारों को भी दूर किया जा सकता है।