आइसीयू बिना ट्रामा में चल रहा इलाज का ड्रामा!
- बिना आइसीयू चिकित्सक भी महसूस करते हैं असहाय - कैंसर पीड़ित वृद्ध को प्राथमिक उपचार न
- बिना आइसीयू चिकित्सक भी महसूस करते हैं असहाय
- कैंसर पीड़ित वृद्ध को प्राथमिक उपचार न दे पाए चिकित्सक
संवादसूत्र, बाराबंकी : फतेहपुर तहसील क्षेत्र के ग्राम छंदवल निवासी वृद्ध मो. अयूब कैंसर रोग से पीड़ित हैं। इलाज चल रहा है बुधवार की सुबह अचानक उन्हें सांस लेने में दिक्कत हुई। परिवारीजन सीएचसी फतेहपुर ले गए। सीएचसी से जिला चिकित्सालय के ट्रामा सेंटर रेफर कर दिया गया। क्रॉनिक मरीज को देख ट्रामा सेंटर के चिकित्सकों के हाथ पैर फूलने लगे, क्योंकि इस मरीज को तुरंत आइसीयू (इंटेंसिव केयर यूनिट) में प्राथमिक उपचार की जरूरत थी, यहां आइसीयू न होने से चिकित्सक मन मसोस कर रह गए।
आखिरकार दोपहर करीब पौने एक बजे जिला चिकित्सालय से मेडिकल कॉलेज लखनऊ के लिए रेफर का पर्चा थमा दिया गया। मो. अयूब के साथ मौजूद उसके पुत्र के पास तुरंत लखनऊ ले जाने के लिए व्यवस्था नहीं थी और न ही जिला चिकित्सालय के ट्रामा सेंटर में रोकने की कोई व्यवस्था। बरामदे में स्ट्रेचर पर वह कराहते रहे। इमरजेंसी मेडिकल ऑफीसर डॉ. राघवेंद्र भी असहाय महसूस कर रहे थे कि कैंसर के मरीज का बिना आइसीयू कैसे इलाज किया जाए। साथ ही ऐसे क्रिटिकल मरीज को जिला चिकित्सालय में कैसे रोका जाए। मो. अयूब जैसे मरीज हर रोज ट्रामा के ड्रामा का शिकार होते हैं पर इस समस्या की ओर किसी का ध्यान ही नहीं हैं। ट्रामा के नाम पर इलाज का ड्रामा चल रहा है।
पूर्वांचल का द्वार है बाराबंकी : जिले को पूर्वांचल का द्वार कहा जाता है। पूर्वांचल के गोरखपुर, बलिया, बस्ती, अंबेडकरनगर व फैजाबाद आदि जिलों के मरीजों को जब लखनऊ के एसजीपीजीआइ व मेडिकल कॉलेज रेफर किया जाता है और रास्ते में उन्हें अचानक प्राथमिक इलाज की जरूरत पड़ती है तो यहां आइसीयू कक्ष एवं मॉनीटर तक उन्हें नसीब नहीं होता।
बिना संसाधन बना दिया ट्रामा सेंटर : दो साल पहले जिला चिकित्सालय की इमरजेंसी को बंद कर ट्रामा सेंटर भवन में इमरजेंसी के रोगियों का इलाज शुरू किया गया। ट्रामा सेंटर भवन में ट्रामा जैसी सुविधाएं नहीं हैं। ऐसे में भवन में लिखा 'ट्रामा सेंटर' मरीजों व उनके तीमदारदारों को इलाज के नाम पर सिर्फ भ्रमित करता है। जिला चिकित्साल के सीएमएस डॉ. एसके ¨सह का कहना है कि ट्रामा सेंटर की सुविधाएं अभी नहीं दी जा पा रही हैं। इमरजेंसी चिकित्सा ही होती है। इमरजेंसी के पुराने वार्ड में सीटी स्कैन मशीन की स्थापना की तैयारी की जा रही है।