बुजुर्गों के आशीष के बिना नहीं प्राप्त होती भगवान की कृपा

बाराबंकी : आचार्य सुंदर सागर महाराज ने कहा कि भगवान की कृपा और बुजुर्गों के आशीष के बिना सुख शांति प

By Edited By: Publish:Wed, 24 Aug 2016 12:09 AM (IST) Updated:Wed, 24 Aug 2016 12:09 AM (IST)
बुजुर्गों के आशीष के बिना नहीं प्राप्त होती भगवान की कृपा

बाराबंकी : आचार्य सुंदर सागर महाराज ने कहा कि भगवान की कृपा और बुजुर्गों के आशीष के बिना सुख शांति प्राप्त नहीं होती। निरंतर कषायों के शयन के लिए जिनवाणी मां का आंचल पकड़ लेना चाहिए। वे मंगलवार को बड़ा जैन मंदिर में प्रवचन में बोल रहे थे।

उन्होंने कहा कि अभीक्षण ज्ञानोपयोग भावना यही कहलाती है। प्रतिपल जिनवाणी का स्वाध्याय करना एवं दूसरों को मोक्षमार्ग में लगाना। संवेग भावना का अर्थ है, सम अर्थात चारों ओर से वेग अर्थात प्रवाह का आना। यह प्रवाह पाप रूप भी हो सकता है, पुण्य रूप भी हो सकता है, दोनों से पाप और पुण्य से रहित भी हो सकता है, जैसे परिणाम बनाएंगे प्रवाह वैसा बन जाएगा। घर में लड़ाई होने पर हमें रोटी से सगे संबंधियों से वैराग्य होता है, प्रसूति के समय स्त्री को वैराग्य होता है, यह वैराग्य केवल मानसिक और शारीरिक दुख के कारण है।

सुख की सामग्री होते हुए भी, परिवार के अनुकूल रहने पर जो विरक्ति होती है, संसार और शरीर के स्वभाव को जानकर जो भीति उत्पन्न होती है, वह वैराग्य है, आपकी प्रीति परिवार, धन संपत्ति और शरीर से है, अपनी आत्मा से प्रीति करो।

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