पुल न होने से नियति बना जाम
अतर्रा, संवाद सहयोगी : रेलवे क्रा¨सग में आवागमन के लिए एक पुल न होने से जाम के झाम में लोगों को रोजा
अतर्रा, संवाद सहयोगी : रेलवे क्रा¨सग में आवागमन के लिए एक पुल न होने से जाम के झाम में लोगों को रोजाना उलझना पड़ता है। कई बार तो तेज धूप में स्कूल जाने वाले बच्चे गश तक खा जाते हैं। क्रा¨सग बंद होने पर लोग घंटों जाम में फंसे रहते हैं। इससे राहगीरों के जरूरी काम भी बाधित होते हैं। गौरतलब हो कि अंग्रेजी शासन काल में वर्ष 1887 में अतर्रा रेलवे स्टेशन का निर्माण हुआ था। तभी से अतर्रा से बिसंडा रोड में क्रा¨सग संचालित हो रही है। शुरू-शुरू में इस रूट से निकलने वाली ट्रेनों की संख्या कम होने से रेलवे व आम जनता का इस ओर कोई ध्यान नही था, पर आज बढ़ती आबादी और वाहनों की भरमार ने रेलवे क्रा¨सग में आवागमन की समस्या को बद से बदतर कर दिया है। इसमें ऐसा नही है कि रेलवे विभाग के अधिकारी इस समस्या से अंजान हो। इसके लिए कई बार नगर वासियों की ओर से अधिकारियों को इस समस्या से अवगत कराया गया है। इसके बावजूद अभी तक समस्या से लोगों को निजात नहीं मिली है। बिसंडा रोड के सभासद राजेंद्र चौरसिया, सुनील गुप्ता का कहना है कि जनता की इस समस्या को लेकर रेलवे अधिकारियों का ध्यान आकृष्ट कराने से कई बार अधिकारियों ने मौका मुआयना किया है। पुल न बनने से प्रतिदिन घंटों फाटक बंद रहता है। इससे दूर दराज के लोग जाम में फंस कर हलाकान होते हैं। जाम के झाम में जूझना लोगों की किस्मत बन गई है। रेलवे अधिकारियों पुल निर्माण को लेकर तेजी नही दिखा रहे हैं।