ईमानदारी का पीटते ढ़ोल, नहीं देते आरटीआइ का जवाब

सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 को लेकर सरकारी महकमें की तानाशाही अब बेहिसाब हो चली है। जिले में ऐसे कई विभाग हैं जो स्वयं के ईमानदारी का ढ़ोल पीटते हैं लेकिन विभागीय सूचनाएं देने से कतराते हैं। इसलिए कि विभाग की संपूर्ण कारगुजारियां बाहर आ जाएंगी। इस मामले में जिले का बेसिक शिक्षा विभाग भी पीछे नहीं है। यहां भी आरटीआई का जवाब देना महकमें के जिम्मेदार उचित नहीं समझते। बीएसए कार्यालय को 15 जुलाई 2019 को एक आवेदन देकर कुछ जरूरी जानकारियां मांगी गई थी लेकिन उसका जवाब आज तक नहीं आया। ऐसा विभाग की कमियों को छिपाने के लिए किया जा रहा है।

By JagranEdited By: Publish:Tue, 15 Oct 2019 05:21 PM (IST) Updated:Tue, 15 Oct 2019 05:21 PM (IST)
ईमानदारी का पीटते ढ़ोल, नहीं देते आरटीआइ का जवाब
ईमानदारी का पीटते ढ़ोल, नहीं देते आरटीआइ का जवाब

जागरण संवाददाता, बलिया : सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 को लेकर सरकारी महकमे की तानाशाही अब बेहिसाब हो चली है। जिले में ऐसे कई विभाग हैं जो स्वयं के ईमानदारी का ढ़ोल पीटते हैं लेकिन विभागीय सूचनाएं देने से कतराते हैं। इसलिए कि विभाग की संपूर्ण कारगुजारियां बाहर आ जाएंगी। इस मामले में जिले का बेसिक शिक्षा विभाग भी पीछे नहीं है। यहां भी आरटीआइ का जवाब देना महकमे के जिम्मेदार उचित नहीं समझते। बीएसए कार्यालय को 15 जुलाई 2019 को एक आवेदन देकर कुछ जरूरी जानकारियां मांगी गई थी, लेकिन उसका जवाब आज तक नहीं आया। ऐसा विभाग की कमियों को छिपाने के लिए किया जा रहा है। आरटीआई के तहत विभाग से जानकारी मांगी गई थी कि जनपद में प्राथमिक, उच्च प्राथमिक तथा अंग्रेजी माध्यम के कितने विद्यालय हैं। उसमें कितने शिक्षकों की तैनाती हुई है। जिले में कितने उर्दू शिक्षकों की तैनाती है, प्रति माह उनके वेतन व भत्ता के रुप में कितना धन खर्च होता है। कितने प्राथमिक व उच्च प्राथमिक विद्यालय हैं, जहां उर्दू की पढ़ाई होती है। उनके लिए कौन-कौन सी पुस्तकें आती हैं। इन विद्यालयों में विगत चार वर्षों में उर्दू भाषा पढ़ने के लिए कितने बच्चों का नामांकन किया गया।

इसके अलावा आरटीई एक्ट के तहत नए सत्र में कितने बच्चों का प्रवेश किन-किन विद्यालयों में कराया गया। मार्च-2019 से शुरू शारदा कार्यक्रम के तहत अब तक कितने बच्चों का नामांकन कराया गया है। किस ब्लाक में सबसे ज्यादा और किस ब्लाक में सबसे कम नामांकन हुए। नए सत्र में 31 जुलाई-2019 तक प्राथमिक व उच्च प्राथमिक विद्यालयों में पढ़ने वाले बच्चों की संख्या कितनी है। जिले के कुल कितने उच्च प्राथमिक विद्यालयों में कंप्यूटर अनुदेशकों की नियुक्ति की गई है। कितने विद्यालयों पर कंप्यूटर की व्यवस्था की गई है। कितने प्राथमिक व उच्च प्राथमिक विद्यालयों में आग से सुरक्षा के लिए यंत्र लगाए गए हैं। कितने परिषदीय विद्यालयों की बाउंड्री नहीं है। ऐसे कितने विद्यालय हैं जो जर्जर अवस्था में हैं। सभी उच्च विद्यालय, प्राथमिक विद्यालय, अंग्रेजी माध्यम विद्यालय के लिए कितने शिक्षकों की आवश्यकता है, उनमें कितने शिक्षक जिले में तैनात हैं। जनपद में कुल शिक्षा मित्रों की संख्या कितनी है। मार्च 2018 से अप्रैल 2019 तक कितने प्राइवेट विद्यालयों को मान्यता दी गई है। मान्यता के लिए एक विद्यालय को कौन-कौन से मानक पूरे करने होते हैं। माध्यमिक शिक्षा व स्वास्थ्य

विभाग में 15 जुलाईृ 2019 को ही जिला विद्यालय निरीक्षक के यहां विभाग की अहम सूचनाओं के लिए आरटीआइ दाखिल किया गया था। स्वास्थ्य विभाग में सीएमओ के यहां जून-2019 में अधिनियम के तहत आवेदन दिया गया था। उक्त दोनों विभाग के जिम्मेदारों ने भी अहम सूचनाओं को देना उचित नहीं समझा। इससे स्पष्ट होता है कि संबंधित विभाग अपने अंदर की सूचनाओं को दबा कर रखना चाहता है, ताकि विभाग की कारगुजारियों पर पर्दा पड़ा रहे।

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