गड्ढा मुक्त मार्गों के दावे को झूठा साबित कर रहीं जर्जर सड़कें

नीलगाय तथा छुट्टा पशुओं के झुंड फसलों को नष्ट कर रहे हैं। इससे किसानों को काफी नुकसान हो रहा है। किसानों की समस्याओं को देखते हुए ध्रुवजी ¨सह स्मृति सेवा संस्थान के सचिव भानु प्रकाश ¨सह ने मुख्यमंत्री के सचिव से मुलाकात कर इन पशुओं से होने वाले व्यापक नुकसान को देखते हुए किसानों को बाड़बंदी के लिये अनुदान उपलब्ध कराने की मांग की। घूमंतु पशुओं के कारण रबी की फसल पूरी तरह बर्बाद होने के कगार पर है। किसानो को इस ज्वलंत समस्या से निजात दिलाने के लिए सरकार को निश्चित रुप से पहल करनी चाहिए।

By JagranEdited By: Publish:Thu, 14 Feb 2019 04:54 PM (IST) Updated:Thu, 14 Feb 2019 04:54 PM (IST)
गड्ढा मुक्त मार्गों के दावे को झूठा साबित कर रहीं जर्जर सड़कें
गड्ढा मुक्त मार्गों के दावे को झूठा साबित कर रहीं जर्जर सड़कें

जागरण संवाददाता, सुखपुरा (बलिया) : सड़कें गांवों के विकास की जीवन रेखा हैं जबकि क्षेत्र के लगभग आधा दर्जन सम्पर्क मार्गों की हालत इस कदर बदतर है कि उन पर पैदल चलना तक कठिन है। प्रदेश सरकार की गड्ढा मुक्त मार्गों के दावे को झुठलाने के लिए इन सड़कों की वर्तमान स्थिति काफी है।

क्षेत्र का एक प्रमुख बाजार होने के नाते सुखपुरा कस्बे का जुड़ाव लगभग एक दर्जन गांवों से है। चाहे बाजार हाट करना हो, किसी की दवा करानी हो या बच्चों की पढ़ाई हो, प्राय: इन सभी के लिए लोगों को सुखपुरा आना ही है। यही नहीं जिला मुख्यालय या अन्य शहरों में जाने के लिए भी लोगों को यहां वाहन पकड़ने के लिए आना है। यहां आने के लिए विभिन्न गांवों से आधा दर्जन संपर्क मार्गों का जाल है। संपर्क मार्गों की हालत यह है कि मार्गों में गड्ढे हैं कि गड्ढों में मार्ग यह बता पाना कठिन है। सबसे ज्यादा परेशानी तो स्कूली बच्चों को होती है। यही हाल गंभीर मरीजों व उनके सहायकों की है।

प्रदेश सरकार ने सड़कों को गड्ढा मुक्त करने का अभियान चलाया था जरूर लेकिन उसका लाभ इस क्षेत्र विशेष को नहीं मिला। सुखपुरा-भलुही, सुखपुरा पानी टंकी-अपायल, सुखपुरा विलायती जामुन-संत राय डेरा, सुखपुरा-भंवरपुर, शिवपुर-बसंतपुर जैसे आधा दर्जन से अधिक मार्गों की हालत इस कदर जर्जर है कि उसे मार्ग कहने में भी शर्म महसूस हो रहा है। क्षेत्र के सुखपुरा-भलुही मार्ग पर पैदल चलना तक कठिन है।

भलुही के पूर्व प्रधान हृदय नारायण ¨सह ने मार्ग के शीघ्र मरम्मत की मांग की है। आत्माराम चौहान ने कहा कि मार्ग की बेहतरी गांव के विकास का पैमाना होता है फिर भी सरकार उदासीन है। सत्येंद्र कुमार ¨सह ने कहा कि गांवों के विकास की जीवन रेखा मानी जाने वाली सड़कों की खस्ता हालत ¨चतित करने वाली है। श्याम नारायण यादव ने कहा कि आवागमन की ²ष्टि से उक्त मार्ग महत्वपूर्ण है फिर भी सरकार की उदासीनता समझ से परे है। मार्ग का नहीं बनना जनप्रतिनिधियों व प्रशासनिक उदासीनता की परिचायक है।

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