पुराने गढ़ की धरती की ओर नहीं आए प्रियंका के पांव

कभी कांग्रेस का गढ़ था बलिया लोकसभा। आजादी के बाद युवा तुर्क चंद्रशेखर के जमामने तक कांग्रेस यहां दमदारी से चुनाव लड़नी रही। लेकिन अब उसी कांग्रेस की ओर से बलिया में कोई उम्मीदवार मैदान में नहीं है। बुधवार को कांगेस की ओर से बगल के लोकसभा सलेमपुर में रोड शो करने जरूर पहुंची थी लेकिन बलिया लोकसभा में कांग्रेस प्रत्याशी नहीं होने से उन्होंने यहां आना उचित नहीं समझा। प्रस्तुत है बागी धरती बलिया में कांग्रेस के पूरे इतिहस को समेटती यह रिपोर्ट-

By JagranEdited By: Publish:Wed, 15 May 2019 10:32 PM (IST) Updated:Thu, 16 May 2019 08:12 AM (IST)
पुराने गढ़ की धरती की ओर नहीं आए प्रियंका के पांव
पुराने गढ़ की धरती की ओर नहीं आए प्रियंका के पांव

डा. रवींद्र मिश्र, बलिया

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लोकसभा सीट बलिया और सलेमपुर कांग्रेस का गढ़ रहा है। बुधवार को सलेमपुर में कांग्रेस की स्टार प्रचारक प्रियंका वाड्रा ने रोड-शो कर पूर्वाचल को अपना संदेश देने का काम जरूर किया लेकिन वह बलिया लोकसभा में अपना पांव नहीं रखीं, इसलिए कि इस बार कांग्रेस की ओर से बलिया लोकसभा में कोई प्रत्याशी ही नहीं है। इस बात की चर्चा पूरे दिन लोकसभा क्षेत्र में होती रही। यह सच है कि बलिया में कभी कांग्रेस के पांव काफी मजबूती से जमे थे। वर्ष 1996 तक कांग्रेस यहां सभी को अपनी मजबूती का अहसास भी कराती रही, लेकिन उसके बाद से कांग्रेस की जमीन लगातार खिसकनी शुरू हो गई। अब तो ऐसा दौर आ गया कि इस बार कांग्रेस को बागी धरती से लड़ाने को कोई अपना उम्मीदवार ही नहीं मिला। यह शायद पहला अवसर है जब बागी धरती पर कांग्रेस का कोई उम्मीदवार नहीं हैं।

यहां के लागों को याद है 23 मई 1984 का वह दिन जब यहां स्वयं इंदिरा गांधी आई थीं और यहां के स्वतंत्रता संग्राम सेनानी चित्तू पांडेय की प्रतिमा का अनावरण करते हुए कहा था कि सारा देश बलिया को चित्तू पांडेय के कारण जानता है। स्वतंत्रता संग्राम के दौरान जवाहर लाल नेहरू ने जेल से छूटने के बाद कहा था कि मैं पहले बलिया की स्वाधीन धरती पर जाऊंगा और चित्तू पांडेय से मिलूंगा। बलिया में पांच बार कांग्रेस के सांसदों का शासन भी रहा है। युवा तुर्क चंद्रशेखर के जमाने में वह कांग्रेस ही थी जो लगातार टक्कर दे रही थी। उस समय की लड़ाई में हमेशा कांग्रेस ही सामने होती थी, लेकिन 17वीं लोकसभा में कांग्रेस की ओर से किसी प्रत्याशी का न होना सभी कांग्रेसी नेताओं और उनके मतदाताओं को काफी खल रहा है। बलिया के कांग्रेसी नेता और मतदाता बुधवार को सबसे ज्यादा असहाय तब दिखे जब उन्हें पता चला कि सलेमपुर में कांग्रेस की ओर से रोड शो करने प्रियंका वाड्रा पहुंची हैं। बागी धरती पर कांग्रेस का इतिहास

शुरू से अब तक के चुनाव में 1957 में राधामोहन 96,501 कुल 23 फीसद वोट, 1962 में भी राधामोहन 1,06,245 मत यानी 24 फीसद वोट, 1971 में चंद्रिका प्रसाद 167,724 कुल 29 फीसद वोट, 1984 में जगन्नाथ चौधरी 2,25,984 मत यानी 28 फीसद वोट पाकर कांग्रेस का परचम लहराया। उसके बाद भी कांग्रेस के जगन्नाथ चौधरी 1989 में 1,61,016 यानी 16 फीसद वोट, 1991 में जगन्नाथ चौधरी 1,54,518 मत यानि 15 फीसद वोट, 1996 में जगन्नाथ चौधरी 1,18,987 यानी नौ फीसद वोट पाकर दूसरे स्थान पर कायम रहे, लेकिन उसके बाद कांग्रेस तीसरे नंबर से भी नीचे चली गई। वहीं 2019 के चुनाव से तो कांग्रेस की ओर से कोई प्रत्याशी भी नहीं है। बलिया से विजयी कांग्रेस प्रत्याशी

1957- राधामोहन

1962- मुरली मनोहर

1967- चंद्रिका प्रसाद

1971- चंद्रिका प्रसाद

1984- जगन्नाथ चौधरी

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