न्याय मिलने में मेराजुननिशा को लग गए 17 साल

के आने का इंतजार करती रही। इसी दौरान उसने 26 जून 2002 को एक और शादी कर ली। भाई रईस अहमद बताते हैं कि शादी रोकवाने के लिए वे और उनके पिता ने पैर तक पकड़ेलेकिन उसने ठोकर मार कर निकाल दिया। वर्ष 2009 में हाईकोर्ट ने गुजारा भत्ता देने व बीएसए को जांच कर रिपोर्ट उपलब्ध कराने 10 दिनों में आदेश दिया। पैसे के दम पर जांच की कार्रवाई ठंडे बस्ते में डाल दी गई। उस समय करारा धक्का लगा जब उसके पिता की मौत हो गई। मेराजुननिशा बताती हैं कि भाई का सहारा मिला। मजदूरी मेहनत कर न केवल उनकी सारी जरूरतों को पूरा कियाबल्कि धोखेबाज पति को नौकरी से बर्खास्त कराने में साथ रहे। पीड़िता का कहना है कि अब लड़ाई जारी रहेगी जब तक उन्हें पत्नी होने का दर्जा नहीं मिल जाएगा।

By JagranEdited By: Publish:Mon, 05 Aug 2019 11:38 PM (IST) Updated:Tue, 06 Aug 2019 06:22 AM (IST)
न्याय मिलने में मेराजुननिशा को लग गए 17 साल
न्याय मिलने में मेराजुननिशा को लग गए 17 साल

संघर्ष के सारथी रहे पिता की हो गई मौत, भाई ने निभाया फर्ज संसू, बहराइच : पत्नी का दर्जा, गुजारा भत्ता न तलाक। 18 साल की उम्र में हक को हासिल करने के लिए मेराजुननिशा का शुरू हुआ संघर्ष। 17 साल बाद जब सोमवार को उसके धोखेबाज पति को हाईकोर्ट के फैसले के बाद शिक्षक की नौकरी से बर्खास्त कर दिया गया तो वह खुश तो दिखी, लेकिन संघर्ष के सारथी रहे पिता को खोने का गम भी उसके चेहरे पर साफ झलकता रहा।

फखरपुर के ग्राम मुड़का निवासी खलील अहमद की मेराजुननिशा सबसे छोटी बेटी है। पीड़िता ने बताया कि पिता ने औकात से ज्यादा दहेज दिया। कुछ दिन के लिए ससुराल गई तो उसे तुफैल की पहले एक और शादी होने की जानकारी मिली। जब इसके बारे में पूछा तो घर से मारपीट कर उसे भगा दिया गया। बावजूद वह पिता के घर रहकर अपने पति के आने का इंतजार करती रही। इसी दौरान 26 जून 2002 को उसके पति ने एक और शादी कर ली। भाई रईस अहमद बताते हैं कि शादी रोकवाने के लिए वे और उनके पिता ने पैर तक पकड़े, लेकिन उसने ठोकर मार कर भगा दिया। वर्ष 2009 में हाईकोर्ट ने गुजारा भत्ता देने व बीएसए को जांच कर 10 दिनों में रिपोर्ट उपलब्ध कराने के आदेश दिए। पैसे के दम पर जांच की कार्रवाई ठंडे बस्ते में डाल दी गई। उस समय उसे एक और करारा धक्का लगा जब उसके पिता की मौत हो गई। मेराजुननिशा बताती हैं कि भाई का सहारा मिला। मजदूरी मेहनत कर न केवल उनकी सारी जरूरतों को पूरा किया, बल्कि धोखेबाज पति को नौकरी से बर्खास्त कराने में साथ रहे। पीड़िता का कहना है कि उसकी लड़ाई जारी रहेगी, जब तक उसे पत्नी होने का दर्जा नहीं मिल जाएगा।

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