संवारी जाएगी बघेल झील, फिर चहकेंगे विदेशी मेहमान

परवान चढ़ी कार्ययोजना तो बघेल ताल का फिर से लौटेगा पुराना वैभव

By JagranEdited By: Publish:Thu, 13 Feb 2020 11:33 PM (IST) Updated:Fri, 14 Feb 2020 06:03 AM (IST)
संवारी जाएगी बघेल झील, फिर चहकेंगे विदेशी मेहमान
संवारी जाएगी बघेल झील, फिर चहकेंगे विदेशी मेहमान

बहराइच : 51 वर्ग किमी में फैले बघेल झील को पर्यटन स्थली बनाने के लिए हरी झंडी दे दी गई है। इस तालाब को संवारने की कार्ययोजना तैयार की जा रही है। इसके लिए डीएम ने सीडीओ, सीआरओ, डीएफओ बहराइच व श्रावस्ती के अलावा सिचाई विभाग के एक्सईएन की टीम बनाई है। कार्ययोजना तैयार करके टीम डीएम को सौंपेगी। इसके बाद शासन को भेजा जाएगा। अगर यह कार्ययोजना परवान चढ़ी तो बघेल ताल का पुराना वैभव फिर से लौट आएगा और पर्यटन के मानचित्र पर जिले को स्थान मिलेगा। साथ ही प्रवासी पक्षियों के कलरव व चहचहाहट से फिर प्रदेश का सबसे बड़ा वेटलैंड चहकने लगेगा।

बहराइच-गोंडा मार्ग पर स्थित पयागपुर के दक्षिणी छोर पर करीब 51 वर्ग किमी में बघैल ताल फैला है। एक जमाना था जब इस विशालकाय तालाब में प्रवासी पक्षियों का डेरा रहता था। पक्षियों का कलरव व चहचहाहट से पूरा क्षेत्र गुंजायमान होता था। सैकड़ों बीघे में फैले इस तालाब की नैसर्गिक सुंदरता देखते ही बनती थी, लेकिन अव्यवस्था के चलते यहां पिकनिक सपाट का सपना धीरे-धीरे धुंधलाता गया। अब एक बार फिर विकास की आस जगी है।

मुख्य गेट पर ही पर्यटकों को मिलेगी जानकारी

बघेल झील को इको टूरिज्म के रूप में संवारने के लिए कदम उठाए जा रहे हैं। मुख्य गेट पर सभी प्रकार की सुविधाओं व पक्षियों के बारे में जागरूकता बोर्ड लगाया जाएगा, जिससे आने वाले पर्यटकों को झील की विशेषता व पक्षियों के बारे में जानकारी मिल जाए। खाने व ठहरने की होगी व्यवस्था डीएफओ श्रावस्ती एपी यादव ने बताया कि झील व पक्षियों को दीदार करने के लिए आने वाले पर्यटकों के ठहरने व खाने की भी व्यवस्था होगी। जागरूकता कक्ष का भी निर्माण कराया जाएगा। हटेगी जलकुंभी, निर्मल होगा पानी झील को मूर्तरूप देने में सबसे बड़ी चुनौती जलकुंभी है। शुरूआती दौर में झील से जलकुंभी को हटाया जाएगा। यह ध्यान रखते हुए कि झील का वास्तविक स्थिति में कोई परिवर्तन न हो। रोपित होंगे पौध झील परिसर में अर्जुन, जामुन, सैलिक्स जैसे पौध रोपित किए जाएंगे। डीएफओ का कहना है कि यह पेड़ पक्षियों के प्राकृतवास के लिए जरूरी है। इनके फल का सेवन पक्षी करते हैं। पर्यटन सचिव से मिले विधायक तो शुरू हुई पहल अभी हाल में पयागपुर विधायक सुभाष त्रिपाठी ने बघैल झील के उद्धार के लिए पर्यटन सचिव से मिले। विधायक की पहल पर पर्यटन सचिव ने डीएम को कार्ययोजना बनाने का निर्देश दिया। इस पर डीएम शंभु कुमार ने इस तालाब को गौरवशाली मुकाम पर पहुंचाकर पर्यटन स्थली के रूप में संवारने के टीम गठित की है।

'बघैल ताल को संवारने के लिए सीडीओ, सीआरओ, बहराइच-श्रावस्ती डीएफओ व सिचाई विभाग के अधिशाषी अभियंता की टीम गठित की गई है। बघेल ताल को संवारने के लिए कार्ययोजना तैयार कराई जा रही है। रिपोर्ट आने पर शासन को भेजी जाएगी। इसके बाद झील का सुंदरीकरण कराया जाएगा'।

शंभु कुमार, डीएम चिड़ियों के लिए होगा प्राकृतवास डीएफओ मनीष सिंह ने बताया कि चिड़ियों के प्राकृतवास के लिए झील में कृत्रिम पेड़ लगाए जाएंगे। जहां प्रवासी पक्षी बैठें। पर्यटकों को देखने के लिए भी बेहतर व्यवस्था होगी। जलीय जीवों के संरक्षण को देखते हुए कार्ययोजना को अंतिम रूप दिया जाएगा।

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