तेंदुआ देखा तो हरियाणा तक मच गया शोर

छपरौली (बागपत) : कृष्ण आदि लोग सुबह सात बजे अपने खेत में पहुंचे तो वहां तेंदुआ का पंजा लोह

By JagranEdited By: Publish:Tue, 23 Oct 2018 11:49 PM (IST) Updated:Tue, 23 Oct 2018 11:49 PM (IST)
तेंदुआ देखा तो हरियाणा तक मच गया शोर
तेंदुआ देखा तो हरियाणा तक मच गया शोर

छपरौली (बागपत) : कृष्ण आदि लोग सुबह सात बजे अपने खेत में पहुंचे तो वहां तेंदुआ का पंजा लोहे के फंदे में फंसा देखा। इसका शोर ककौर और आसपास ही नहीं, बल्कि हरियाणा के पानीपत जिले तक मच गया। ककौर निवासी शौकीनपाल, शादाब, आसिफ के अलावा पानीपत जिले के ¨सबलगढ़ गांव निवासी रामकुमार, राकसहेड़ा के तिलकराज, बैगा के मनोज, विनोद आदि लोग तेंदुए को देखने पहुंचे।

पहले शाबाशी.. मर

गया तो ठीकरा

कई घंटे तक तेंदुए को काबू में किए रखने पर वन विभाग के अधिकारियों ने पहले गांव के लोगों की पीठ थपथपाई, लेकिन बाद में जब तेंदुए की मौत हो गई तो अधिकारी बोले, तेंदुए की मौत के पीछे गांव के लोग ही जिम्मेदार हैं। चूंकि फंदा भी उनके गांव के जंगल में ही लगा हुआ था और तेंदुए की पिटाई भी की गई। इससे उसकी रीढ़ की हड्डी फ्रैक्चर हो गई। सवाल यह है कि पोस्टमार्टम होने से पहले यह कैसे पता चल गया कि तेंदुए की रीढ़ की हड्डी टूटी हुई है?

बिल्ली-बिल्ली करते थे

तेंदुआ कहां से आया?

रहतना, मांगरौली, खपराना, मौजिजाबाद नांगल, गांगनौली, झुंडपुर, तमेलागढ़ी, सरौरा, बेगमाबाद गढ़ी, सुभानपुर, सांकरौद, ककौर, शबगा आदि गांव ¨हडन, कृष्णा और यमुना किनारे स्थित हैं जहां सालों से लोग समय-समय पर तेंदुए दिखते रहे हैं। तेंदुए कितने ही पशुओं की जान भी ले चुके हैं, लेकिन वन विभाग के अधिकारी यही दावा करते आए हैं कि ये तेंदुए नहीं, जंगली बिल्लयां हैं और भ्रम के चलते लोग तेंदुआ होने की बात करते हैं। सवाल यह है कि अब तेंदुआ कहां से आ गया?

जिसे भी इस बात का पता चला कि जंगल में एक तेंदुआ पकड़ा गया है, उसने ही तेंदुआ देखने के लिए दौड़ मचा दी। पांच साल का रामू पिता के कंधे पर तेंदुआ देखने पहुंचा तो 70 साल का रामभजन भी लाठी का सहारा लेकर तेंदुए की एक झलक पाने के लिए पहुंचा। किसी को भी यह डर नहीं था कि तेंदुआ छूट गया तो कैसे भागोगे। महिलाएं भी अपना कामकाज बीच में ही छोड़कर तेंदुए को देखने पहुंचीं।

तिलकराज तुम्हारे खेत

में शेर आया है

जिस यूकेलिप्टस के बाग में तेंदुआ फंदे में फंसा, वह 42 बीघा का खेत पानीपत के डोडपुर गांव के नरेश का है। राकसहेड़ा गांव के तिलकराज ने ठेके पर ले रखा है। उसमें कपास की फसल खड़ी है। तिलकराज खेत में ही था। सुबह कई किसानों ने उसे बताया कि तुम्हारे खेत में शेर पकड़ रखा है तो वह काम बीच में छोड़ मौके पर पहुंचा तो वहां तेंदुआ फंदे में फंसा दिखाई दिया। इसके अलावा गांव के कई लोगों ने बताया कि गांव में उन्हें इस बात की सूचना मिली थी कि खेत में शेर को पकड़ रखा है।

कुत्तों ने किया था

तेंदुए का सामना

खपराना गांव के जंगल में दो अक्टूबर को अपने परिजनों के साथ खेत पर काम करने गए छात्र शुभम पर तेंदुए ने हमला बोल दिया था। उस समय साथ गये पालतू कुत्ते ने तेंदुए का सामना कर छात्र को बचा लिया था। दूसरी घटना 19 अक्टूबर की है। शाहपुर बाणगंगा गांव के जंगल मे खेत पर गए किसान योगेंद्र पर तेंदुए ने हमला बोल दिया था। उस समय भी साथ गये पालतू कुत्ते ने तेंदुए का बहादुरी से सामना कर किसान को बचा लिया था। खपराना, शाहपुर बाणगंगा गांवो की आबादी में आकर तेंदुआ कई बछड़ों को शिकार बना चुका है।

तेंदुए की पिटाई की

आशंका जताई

रिटायर्ड डीएफओ जीएस कुसारिया ने आशंका जताते हुए बताया कि तेंदुए की मौत डंडों की पिटाई से हुई है और उनकी टीम से पहुंचने से पहले ही लोगों ने उसकी कमर पर डंडे बरसाए, जिससे उसकी हालत खराब हो गई। हालांकि मौत की वजह पोस्टमार्टम रिपार्ट में ही पता चलेगी। उन्होंने यह भी बताया कि यह लगभग दो साल का मेल तेंदुआ है, जिसका लगभग 25-30 किग्रा के बीच में वजन है। तेंदुआ पेड़ पर अपने से दोगुना वजन लेकर चढ़ जाता है। यह अक्सर सुकर, बकरी और गाय के बछड़े का शिकार करता है।

जाल किसने लगाया, किसानों

ने या शिकारियों ने?

वन विभाग देर शाम तक भी इस बात से पर्दा नहीं उठा सका कि यमुना खादर में स्थित बाग में जाल किसानों ने लगाया था या शिकारियों ने। गांव के लोगों ने फंदा लगाने से साफ इंकार कर दिया है। जनपद में इससे कई साल पहले हिसावदा गांव के जंगल में इसी तरह फंदे में एक तेंदुआ फंस गया था, जिसे पीट-पीटकर मार दिया था तथा शव को श्मशान घाट में रख दिया था। 13 अप्रैल 2001 में भी निरपुड़ा गांव के जंगल में तेंदुए को पीटकर मार डाला था। दो साल पहले भी पुसार कस्बे में भी तेंदुए को मार दिया गया था।

सुबह से लेकर शाम तक

सुबह सात बजे तेंदुए को लोगों ने फंदे में फंसा देखा। साढ़े सात बजे वन विभाग, पुलिस के अलावा डीएम और सीएम के यहां फोन कर जानकारी दी गई। आठ बजे लोगों ने जाल डालकर तेंदुए को दबोच लिया। लगभग साढ़े नौ बजे वन विभाग बड़ौत और बागपत से अधिकारी मौके पर पहुंचे। दोपहर लगभग 12 बजे मेरठ से वन विभाग के अधिकारी पहुंचे। एक बजे चिकित्सकों ने तेंदुए को बेहोशी का इंजेक्शन लगाया। डेढ़ बजे सरधना से ¨पजरा लाया गया। तीन बजे तेंदुए को बड़ौत वन विभाग कार्यालय लाया गया। वहां तेंदुए ने दम तोड़ दिया।

इन सवालों में छिपा है तेंदुए की मौत का राज

क्या तेंदुए को बेहोशी की ओवरडोज ज्यादा दी गई?

क्या तेंदुए की बेहरमी से पिटाई की गई थी?

क्या तेंदुआ डंडे के लगातार दबाने से मरा?

क्या तेंदुए की गर्दन पर पड़ा डंडे का जोर और सांस लेने में हुई दिक्कत?

क्या तेंदुआ ने गर्मी और भूख से दम तोड़ा?

क्या तेंदुए की मौत ज्यादा बुखार से हुई?

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