फिर पुरानी पटरी पर अस्पताल की व्यवस्था

आजमगढ़ आखिरकार साल भर बाद जिला अस्पताल की कंप्यूटराइज्ड चल रही व्यवस्था पुरानी पटरी पर लौट गई। अब कंप्यूटराइज्ड पर्ची नहीं मरीजों को दी जा रही बल्कि साधारण पर्ची से काम चलाया जा रहा है। यही नहीं विभिन्न जांच रिपोर्ट भी हाथ से लिखी जहां दी जा रही हैं वहीं जगह-जगह लगे कंप्यूटर सेट बंद पड़े हैं। इन्हें चलाने वाला कोई कर्मचारी मौजूद नहीं हैं। यह स्थिति एक दिसंबर के बाद से हुई है। इसकी वजह से मरीज व उनके परिजनों को पर्ची के लिए मारामारी करनी पड़ रही है।

By JagranEdited By: Publish:Mon, 09 Dec 2019 05:44 PM (IST) Updated:Mon, 09 Dec 2019 05:44 PM (IST)
फिर पुरानी पटरी पर अस्पताल की व्यवस्था
फिर पुरानी पटरी पर अस्पताल की व्यवस्था

जागरण संवाददाता, आजमगढ़ : आखिरकार साल भर बाद जिला अस्पताल की कंप्यूटराइज्ड चल रही व्यवस्था पुरानी पटरी पर लौट गई। अब कंप्यूटराइज्ड पर्ची मरीजों को नहीं दी जा रही है, बल्कि साधारण पर्ची से काम चलाया जा रहा है। यही नहीं विभिन्न जांच रिपोर्ट भी हाथ से जहां लिखी जा रही है, वहीं जगह-जगह लगे कंप्यूटर सेट बंद पड़े हैं। इन्हें चलाने वाला कोई कर्मचारी मौजूद नहीं है। यह स्थिति एक दिसंबर के बाद से हुई है। इसकी वजह से मरीज व उनके परिजनों को पर्ची के लिए मारामारी करनी पड़ रही है।

जिला अस्पताल में 88 व महिला अस्पताल में लगभग 40 पैरा मेडिकल स्टाफ तैनात हैं। इसमें स्टाफ नर्स, एक्स-रे टेक्नीशियन, लैब टेक्नीशियन, ओटी टेक्नीशियन, वार्ड ब्वाय, कंप्यूटर आपरेटर आदि शामिल हैं। 30 नवंबर को इन सभी की सेवा शासन की तरफ से समाप्त कर दी गई। अब नए सिरे से पैरा मेडिकल स्टाफ की नियुक्ति की जाएगी। जिला अस्पताल गेट के समीप पांच काउंटर बनाए गए थे। इसमें दो पुरुष व दो महिलाओं तथा एक विकलांग व असहाय लोगों के लिए थे। इन सभी काउंटर से ऑनलाइन पर्ची दी जा रही थी। यानी मरीजों का ऑनलाइन रिकार्ड रखा जा रहा था। इसके अलावा पैथालाजी, एक्स-रे, सोनोग्राफी में भी कंप्यूटराइज्ड रिपोर्ट दी जा रही थी। कंप्यूटर आपरेटरों की सेवा समाप्त हो जाने की वजह से कंप्यूटर शो पीस बने हुए हैं। इसके अलावा अस्पताल में भर्ती मरीजों की देखभाल नहीं हो पा रही है। स्टाफ कम होने की वजह से किसी तरह से अस्पताल का काम चलाया जा रहा है।

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पैरा मेडिकल स्टाफ हट जाने की वजह से स्थिति विकट हो गई है। पैरामेडिकल स्टाफ पूरी अस्पताल व्यवस्था को संभाले हुए थे। जब तक नियुक्ति नहीं हो जाती है तब तक किसी तरह से सीमित स्टाफ से काम चलाया जा रहा है। टेंडर की प्रक्रिया चल रही है।

-श्रीकृष्ण गोपाल, प्रमुख चिकित्सा अधीक्षक

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