विनाशक होता है राग द्वेष से किया गया कार्य

जागरण संवाददाता, चक्रपानपुर (आजमगढ़) : स्थानीय बाजार में स्थित दिव्य ज्योति जागृति संस्थान के तत्

By JagranEdited By: Publish:Fri, 15 Jun 2018 10:22 PM (IST) Updated:Fri, 15 Jun 2018 10:22 PM (IST)
विनाशक होता है राग द्वेष से किया गया कार्य
विनाशक होता है राग द्वेष से किया गया कार्य

जागरण संवाददाता, चक्रपानपुर (आजमगढ़) : स्थानीय बाजार में स्थित दिव्य ज्योति जागृति संस्थान के तत्वावधान में चल रहे पांच दिवसीय शिवकथा ज्ञान यज्ञ के चौथे दिन गुरुवार को स्वामी अभेदानंद महाराज ने प्रवचन के दौरान कहा कि प्रजापति दक्ष अपने दामाद शिव से ईष्र्या रखते थे। एक बार प्रजापति दक्ष ने शिव को नीचा दिखाने के लिए यज्ञ का आयोजन किया। यज्ञ में उन्होंने देवर्षियों, महर्षियों व देवताओं को आमंत्रित किया परंतु अपनी पुत्री सती व शिवजी की उपेक्षा की। इस यज्ञ में सर्वयज्ञ में पारंगत महर्षि दधीचि को भी आमंत्रित किया। महर्षि दधीचि ने जब शिव का स्थान यज्ञ मंडप में नहीं देखा तो दक्ष को समझाते हुए कहा देवाधिदेव भगवान शंकर की कृपा के बिना कोई भी यज्ञ सफल नहीं हो सकता। राग द्वेष की कुत्सित भावना से किया गया कर्म या सत्कर्म विनाश का कारण बनता है। यह यज्ञ तुम्हारे कल्याण का नहीं बल्कि विनाश का कारण बनेगा। भगवान रुद्र की क्रोधाग्नि से सब कुछ ध्वस्त हो जाएगा। आज मानव भी शिव की बात न मानने के कारण दुखी है। शिव साधना तथा तपस्या की पद्धति न जानने के कारण वह जन्म मरण के चक्कर में घूमता रहता है। इसलिए मानव मात्र के कल्याण के लिए शिव साधना व शिवकृपा आवश्यक है।

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