तेज धूप व हवाओं से आम के बौर में रोगों का खतरा बढ़ा

जागरण संवाददाता औरैया इस साल भीषण सर्दी के बाद अब मौसम का मिजाज अलग तरह का है। दिन में

By JagranEdited By: Publish:Thu, 06 Feb 2020 11:25 PM (IST) Updated:Fri, 07 Feb 2020 06:05 AM (IST)
तेज धूप व हवाओं से आम के बौर में रोगों का खतरा बढ़ा
तेज धूप व हवाओं से आम के बौर में रोगों का खतरा बढ़ा

जागरण संवाददाता, औरैया: इस साल भीषण सर्दी के बाद अब मौसम का मिजाज अलग तरह का है। दिन में चटक धूप और रात में सर्द हवा चल रही है। तेज हवाओं के बीच प्रखर धूप से आम की फसल को लेकर उत्पादकों को विशेष सावधानी बरतने की आवश्यकता है। बौर आने के समय ही प्रतिकूल मौसम बनने से दाना बनने की संख्या में गिरावट आई है। ऐसे में अच्छी उपज प्राप्त करने के लिए विशेष ध्यान रखने की आवश्यकता है। लापरवाही की दशा में उपज के साथ फल के साइज व गुणवत्ता में भी गिरावट आएगी।

कृषि विज्ञानियों का कहना है कि कीट नजर आने पर मैलाथियान दवा का छिड़काव करना चाहिए। जड़ों में धंजाइन का प्रयोग पोषक तत्व के रूप में करना चाहिए। इसके बाद सड़ी गोबर और बाजार में उपलब्ध प्रोटीन आदि पोषक तत्व सहित मिट्टी को मिलाकर गड्ढे को पूरी तरह भरकर लबालब पानी भर देना चाहिए। गर्मी के दिनों में जड़ में निरंतर नमी बनी रही। दूसरी ओर बौर में कीट व रोग का निरंतर ध्यान रखते हुए दवाओं का छिड़काव नियमित समय पर करते रहना चाहिए। इससे एक तरफ जहां फल अधिक मात्रा में रुक जाते हैं, वहीं दूसरी ओर लू चलने के समय अन्य की अपेक्षा से यह कम झड़ते हैं। उत्पादकों के लिए यह सबसे महत्वपूर्ण काल है। मौसम के कहर के बाद भी सावधानी बरतने पर अच्छी पैदावार प्राप्त की जा सकती है। कृषि विज्ञानी डॉ. संदीप सिंह ने बताया कि किसान आम के बाग में अभी से सावधानी बरते जिससे कि रोग व कीटों पर रोकथाम हो सके। गुम्मा रोग भी हो सकता है

यह रोग वनस्पति और पुष्प गुम्मा दो प्रकार का होता है। पुष्प गुम्मा रोग में पुष्प शाखाएं छोटी हो जाती हैं और गुच्छों का रूप धारण कर लेती हैं। इस कारण पेड़ों पर फूल खिलने के बाद भी फल नहीं लगते हैं। गुम्मा रोग में पेड़ की बढ़ती टहनियां छोटी हो जाती हैं। यह करें उपाय

इस रोग से ग्रसित भाग को काटकर मिट्टी के अंदर दबा देना चाहिए। वहीं जिस बाग और पेड़ों में प्रत्येक वर्ष यह रोग फैलता हो। उस स्थान पर अक्टूबर महीने में अल्फा नेफथालीन एसिटिक एसिड 4.5 फीसदी, 1.5 से दो मिली एसएल को प्रति लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करने से इस रोग की रोकथाम की जा सकती है। फलों के झड़ने पर यह करें

फलों को गिरने से बचाने के लिए किसान को अल्फा नेफथालीन एसिटिक एसिड 4.5 फीसदी की 0.5 मिली मात्रा प्रतिलीटर पानी में घोलकर 10 से 15 दिन के अंतराल पर दो से तीन बार छिड़काव करना चाहिए। इससे फलों को गिरने से रोका जा सकता है।

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