बाग को हरा-भरा कर जीवन में लाई खुशहाली

जागरण संवाददाता, विवेक सिकरवार, औरैया : 125 बीघा में फैला करीब सौ वर्ष पुराना बाग धीरे-धीर

By JagranEdited By: Publish:Tue, 12 Feb 2019 11:05 PM (IST) Updated:Tue, 12 Feb 2019 11:05 PM (IST)
बाग को हरा-भरा कर जीवन में लाई खुशहाली
बाग को हरा-भरा कर जीवन में लाई खुशहाली

जागरण संवाददाता, विवेक सिकरवार, औरैया : 125 बीघा में फैला करीब सौ वर्ष पुराना बाग धीरे-धीरे खत्म होने की कगार पर पहुंच गया। अपने पुश्तैनी बाग की इस हालत को देखकर प्रगतिशील किसान अशोक भदौरिया को काफी कष्ट पहुंचा। उन्होंने बाग की खोई हुई पहचान को वापस लाने का संकल्प किया और अपनी मेहनत के बल पर सफल भी हुए। अब यहां 17 प्रजाति के आम फल-फूल रहे हैं, तो संतरा सहित अन्य फलों की पैदावार हो रही है। सालाना छह से आठ लाख की आमदनी के साथ-साथ वह गांव के लोगों को रोजगार भी दे रहे हैं।

प्रदूषण की चिंता ने खड़ा कर दिया बाग

किसान अशोक भदौरिया बताते हैं कि गांव व बाग के आसपास ईट भंट्ठों की संख्या काफी ज्यादा है, जिससे लगातार प्रदूषण बढ़ रहा था। इसको ध्यान में रखते हुए उन्होंने बाग से पुराने पेड़ों को हटाकर नए पौधे लगाए। उनकी लगन को देखते हुए उद्यान विभाग ने कई योजनाओं के बारे में बताया। जिसके बाद आज यह बाग न केवल प्रदूषण को काफी हद तक कम कर रहा है, बल्कि आमदनी का जरिया भी बन गई। इस कार्य में उनके परिवारीजन भी सहयोग करते हैं।

आम के आम गुठलियों के दाम

बिधूना तहसील के आशा गांव स्थित यह बाग जिले का सबसे पुराना बाग है। यहां इंटरक्रॉ¨पग के जरिये सरसों, गेहूं आदि फसलें भी की जाती हैं। अशोक भदौरिया ने गांव के 10 से 12 लोगों को रोजगार दे रखा है। यह लोग दिन भर बाग में काम करते हैं, जिनके साथ वह खुद भी जुटे रहते हैं।

इन फलों की भी होती पैदावार

प्रगतिशील किसान हर वर्ष बाग में 200 से 300 पौधे लगाते हैं। यहां आम के साथ ही आंवला, अमरूद, संतरा, किन्नू, नीबू, बेल आदि के भी पेड़ हैं। बाग को देखने के लिए दूर-दूर से लोग आते हैं। अब केला, पपीता, लीची आदि के पेड़ लगाए जाने का प्रयास किया जा रहा है।

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यह बाग अन्य किसानों के लिए मिसाल पेश कर रहा है। विभाग की ओर से लगातार अनुदान देकर प्रगतिशील किसान को प्रोत्साहित किया जा रहा है।

- अनूप कुमार चतुर्वेदी, जिला उद्यान अधिकारी

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