गिरोहबंद अधिनियम में निरुद्घ दो आरोपियों को कैद

औरैया, जागरण संवाददाता : न्यायालय विशेष न्यायाधीश गैंगेस्टर अधिनियम महफूज अली ने उप्र गिरोह बंद एवं

By Edited By: Publish:Wed, 17 Dec 2014 07:40 PM (IST) Updated:Wed, 17 Dec 2014 07:40 PM (IST)
गिरोहबंद अधिनियम में निरुद्घ दो आरोपियों को कैद

औरैया, जागरण संवाददाता : न्यायालय विशेष न्यायाधीश गैंगेस्टर अधिनियम महफूज अली ने उप्र गिरोह बंद एवं समाज विरोधी क्रियाकलाप निवारण अधिनियम में निरुद्ध काके यादव उर्फ उजागर निवासी किशुनपुर और शरद मिश्र निवासी क्योंटरा को दोषी सिद्ध करते हुए पांच-पांच वर्ष के कठोर कारावास व दस-दस हजार रुपए अर्थदंड की सजा से दंडित किया है।

अभियोजन के अनुसार पुलिस ने 17 मई 2010 को किशनपुर की मड़ैया निवासी काके यादव उर्फ उजागर पुत्र पुल्लन यादव तथा ग्राम क्योंटरा निवासी शरद मिश्र पुत्र संतोष मिश्र को समाज विरोधी क्रियाकलाप अधिनियम गैंगेस्टर एक्ट 1986 की धारा 213 में गिरफ्तार कर आरोपित किया कि वह लोग शातिर अभ्यस्त अपराधी हैं जो एक गैंग बनाकर अपराध करते हैं। इनका क्षेत्र में इतना भय व आतंक है कि इनके विरुद्ध कोई अभियोग पंजीकृत कराने व गवाही देने को तैयार नहीं होता है। अपराध करके आजीविका चलाना इनका पेशा है। इस मामले में दाखिल चार्जशीट के आधार पर उक्त मुकदमे का विचारण विशेष न्यायाधीश गैंगस्टर अधिनियम कोर्ट में हुआ। अभियोजन पक्ष की ओर से अभियोजन अधिकारी दिनेश कुमार मिश्र व बचाव पक्ष की दलीलों को सुनने के बाद न्यायाधीश महफूज अली ने दोनों अभियुक्त काके यादव व शरद मिश्र को पांच पांच वर्ष के कठोर कारावास व दस-दस हजार रुपए अर्थदंड की सजा से दंडित किया। सत्र लिपिक भूपेश कुमार ने बताया कि अर्थदंड अदा न करने पर दो माह का अतिरिक्त कारावास भुगतना पड़ेगा तथा इस प्रकरण में जेल में बिताई गई अवधि इस सजा में समायोजित की जाएगी।

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