अगली पीढ़ी को दे रहे सब्जी की खेती का तोहफा

पड़ोसी जनपदों को भी सब्जी की आपूर्ति कर रहे। परंपरागत के साथ अंतरवर्ती खेती ने किसानों की किस्मत बदल दी।

By JagranEdited By: Publish:Thu, 07 Jan 2021 11:48 PM (IST) Updated:Thu, 07 Jan 2021 11:48 PM (IST)
अगली पीढ़ी को दे रहे सब्जी की खेती का तोहफा
अगली पीढ़ी को दे रहे सब्जी की खेती का तोहफा

अमेठी : खेतीबाड़ी कर इलाके के 95 प्रतिशत परिवार जीवनयापन कर रहे हैं। वहीं, कुछ वर्षो से परंपरागत खेती के माध्यम से इन परिवारों का खर्च चलना मुश्किल हो रहा है। ऐसे में दरपीरपुर के किसान रामप्रताप वर्मा ने सब्जी की खेती का सहारा लिया, जिससे बढि़या मुनाफा कमाया। इलाके के किसान उनसे प्ररेणा लेकर आज सब्जी की खेती कर अपनी आमदनी बढ़ा रहा हैं।

गांव के किसान रमेश मिश्र, राजेश मौर्य, दरगाही लाल, कन्हैयालाल वर्मा, रामू अंनीबैजल ने पांच एकड़ भूमि पर करीब दस साल पहले वहीं पर गेहूं और धान के साथ सब्जी लगानी शुरू की थी। राम प्रताप वर्मा ने बताया कि पांच एकड़ भूमि पर गेहूं व धान फसल को तैयार करने में एक लाख रुपये लागत आती थी। उसी खर्च में धान के साथ आलू, गोभी, टमाटर, मिर्च व बैगन भी लगा दिया। बताया कि लागत तो सिर्फ गेहूं से निकल आई। वहीं, अन्य फसल से चार लाख रुपये मुनाफा हुआ। उन्होंने बताया कि इस पद्धति से अगली पीढ़ी को बेहतर उपज का तोहफा दे रहे हैं।

जिला उद्यान अधिकारी बलदेव प्रसाद ने बताया कि जिले के दरपीपुर गांव में किसान सब्जी की खेती से बढि़या मुनाफा कमा रहे हैं। किसानों को सब्जी के खेतों की सिचाई की आधुनिक व्यवस्था अपनाने के लिए 90 फीसद तक का अनुदान प्रधानमंत्री कृषि योजना के तहत दिया गया है।

खेती के साथ पर्यावरण संरक्षण भी :

मडेरिका गांव के अजय मौर्य ने भी सब्जी की खेती शुरू की। वहीं, कुछ किसानों ने गांव में ही फूल की खेती शुरू की। सिर्फ गेंदा फूल से चार साल में पांच लाख रुपये की आमदनी हो चुकी है।

सब्जियों का हब बना गांव :

राम प्रताप ठेके की जमीन पर खेती करते हैं। उन्होंने पिछले साल हरे चारे के साथ सब्जी की खेती करने की ठानी। बताया कि हरा चारा मवेशियों के लिए लगाया तो किसान सलाहकार ने उसमें अंतरवर्ती खेती करने की सलाह दी। इसी क्रम में हरा चारा के साथ मक्का व भिंडी, बैंगन व सहजन आदि लगाया। मेहनत रंग लाई और अच्छी आमदनी हुई।

chat bot
आपका साथी