चुनावी चौपाल : प्रस्ताव बना, बोर्ड लगा पर धरातल पर नहीं उतर सका अंडरपास

स्‍थानीय लोग पिछले 35 वर्षों से अंडरपास की मांग को लेकर लड़ रहे है। इस लड़ाई में उन्हें स‍िर्फ मुकदमा व जेल के साथ आश्वासन ही मिल सका है।

By Anurag GuptaEdited By: Publish:Sat, 13 Apr 2019 08:47 PM (IST) Updated:Sat, 13 Apr 2019 08:47 PM (IST)
चुनावी चौपाल : प्रस्ताव बना, बोर्ड लगा पर धरातल पर नहीं उतर सका अंडरपास
चुनावी चौपाल : प्रस्ताव बना, बोर्ड लगा पर धरातल पर नहीं उतर सका अंडरपास

अमेठी, जेएनएन।  लखनऊ-प्रतापगढ़ रेलखंड पर अमेठी तहसील क्षेत्र के तीन गांव बिरहिमपुर, बारामासी व रेलवे स्टेशन के पूर्वी केबिन पर अंडर पास की मांग वर्ष 1984 में राजीव गांधी से शुरू हुई थी। दो दर्जन गांव के एक लाख की आबादी को भी शहर से दूरी का दंश झेलना पड़ रहा है।

यही नहीं ग्रामीण कई हादसों के शिकार भी हो चुके हैं। इनमें कई लोगों की जाने भी चली गई हैं, लेकिन आज तक अंडर पास का निर्माण नहीं हो सका है। निर्माण के लिए बोर्ड वर्ष 2013 में लगाया गया। इसमें बारामासी क्रासिंग पर बोर्ड लगाकर लगभग एक करोड़ 62 लाख रुपये लागत अंकित की गई थी, जबकि पूर्वी केबिन पर दो करोड़ 59 लाख रुपये की लागत से अंडरपास बनाने का दावा किया गया था। 

इन गांवों के लोग करते हैं आवागमन

बारामासी मानवरहित रेलवे क्रासिंग से कुशिताली, पूरे नरपत, हाटी, पूरे रामलाल, नुवावां, कटरा, सोमपुर मनकंठ, पूरे अहिरावल,  पूरे निद्धि, भगवानपुर, श्रीरामपुर, पूरे शिवलाल, दरखा, कालू का पुरवा, बसायकपुर, महुवा बोझी, पूरे आसरे, सुंदरपुर सहित कई गांव के लोग जान जोखिम में डाल आवागमन करने को मजबूर हैं।प्रमोद मिश्रा ने कहा कि सन 1984 से स्व. राजीव गांधी पूर्व प्रधानमंत्री से इसकी मांग की गई थी। कहने को तो ये वीवीआईपी क्षेत्र है, लेकिन एकदम फिसड्डी क्षेत्र तैसा लगा है।

स्थानीय नेताओं, विधायक की उदासीनता के कारण 101 पश्चिम क्रासिंग का निर्माण नहीं हो सका। कई बार प्रदर्शन हुए रेल रोक, 102 पर फाटक बंद हो जाता दो से तीन घंटे का जाम लगता है। गांव में किसी यहां आग लगती है तो फायर बिग्रेड तक नहीं पहुंच पाता है। एंबुलेंस से मरीज निकलता है तो क्रासिंग पर दम तोड़ देता है। छोटी-छोटी बच्चियां इसी रास्ते से प्रतिदिन रेलवे लाइन पार कर विद्यालय जाती हैं। हर समय हमें अपने बच्चों की फिक्र लगी रहती है। इसका निर्माण होना बहुत जरूरी है। 

मुमताज खान ने बताया कि अमेठी रेलवे स्टेशन के पूर्वी छोर पर अंडर ब्रिज की मांग सन 1984 में राजीव गांधी के जमाने से मांग कर रहे है। धरना प्रदर्शन किया। बोर्ड लगा, एनओसी नहीं मिली पता नहीं क्या हुआ। इसका निर्माण होना बहुत जरूरी है। रेल बोर्ड तक बात पहुंचाई जाए। राजेंद्र सिंह चौहान ने कहा कि इसके ल‍िए धरना प्रदर्शन किया, लेकिन इसके बाद भी सुनवाई नहीं हुई। बिराहिमपुर में अंडर पास की मांग कई वर्षों से करते चले आ रहे, लेकिन आज तक पूरी नहीं हो सकी है।  

गिरीशचंद्र मिश्रा  ने बताया कि 5 वर्षों से हम इसकी मांग कर रहे। बगल में डिग्री कालेज है, तीन चार इंटर कालेज है। प्रति दिन हमारे बच्चें साइकिल उठाकर आते जाते है। इस मार्ग से प्रतिदिन तीन से चार हजार लोगों का आना-जाना होता है। इसकी मांग पूरी की जाए। 

धर्मपाल यादव ने बताया  कि पूर्वी केबिन जो टूटी हुई है। उसके बाद बिल्कुल एकदम दुर्घटना को दावत दिया जाता है। इस समस्या से विशेसरगंज तक सैकड़ों गांव प्रभावित है। छोटे बच्चे पढऩे जाते है, घटनाएं होती रहती है। जब इलेक्शन आता है तो तरह तरह की बाते लोग करते है, लेकिन पूरी नहीं करते। 

शीर्ष कुमार ने कहा कि सौ गांव ऐसे है जिनकी आबादी एक लाख है। यहां सांसद राहुल गांधी है। राजीव गांधी भी यहां सांसद रहे है पूर्व प्रधानमंत्री भी रहे है, लेकिन समस्या दूर नहीं हुई। राजेश कुमार सिंह ने बताया कि क्रासिंग न होने के कारण हम लोगों को काफी परेशानी है। हमारी मांग पहुंचाई जाए। जल्द से जल्द इसका निर्माण कराया जाए।

बीनू खान ने बताया कि अंडर ब्रिज न बनने के कारण चार-पाच किलोमीटर घूम कर जाना पड़ा है। यहां से विशेसरगंज तक के लोग दस बारह किलो मीटर से आते है। अगर अंडर ब्रिज बन जाए तो हमारी समस्या हल हो जाए।  

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