न्याय पाने की उम्मीदें फाइलों में हुई कैद
अंबेडकरनगर : तहसील के न्यायालयों में राजस्व वादों का अंबार लगा है। न्यायालयों में हजारो
अंबेडकरनगर : तहसील के न्यायालयों में राजस्व वादों का अंबार लगा है। न्यायालयों में हजारों वाद लंबित है। वादों को निस्तारण करने को न्यायालय के पीठासीन अधिकारी नहीं है। तहसील क्षेत्र में 412 राजस्व गांव है। इनमें कहीं वरासत, कहीं हकीयत तो कहीं मेड़बंदी आदि के विवाद हैं। विवाद उभरकर वादों की शक्ल में राजस्व न्यायालयों में पहुंचते हैं। इनके निपटाने के लिए उपजिलाधिकारी, तहसीलदार, तहसीलदार न्यायायिक, नायब तहसीलदार टांडा, नायब तहसीलदार बसखारी के न्यायालय है। अतिरिक्त उपजिलाधिकारी के न्यायालय भी कार्यरत रहे हैं। तहसीलदार न्यायायिक का पद वर्षों से रिक्त है। तहसीलदार न्यायालय के पीठासीन अधिकारी सुदामा वर्मा दोनों न्यायालयों में लंबित वादों की सुनवाई करते हैं। नायब तहसीलदार बसखारी न्यायालय के पीठासीन अधिकारी नहीं है। नायब तहसीलदार टांडा मंगलदेव शुक्ल, नायब तहसीलदार बसखारी के न्यायालय में लंबित वादों को सुनते हैं। उपजिलाधिकारी समेत तहसील के राजस्व न्यायालयों में हजारों वाद लंबित है। दिसंबर माह में एक हजार 807 वाद अपील मेड़बंदी उपजिलाधकारी के न्यायालय में राजस्व के न्यायालय में मेड़बंदी, हकीयत, भूमि बंटवारे, दाखिल खारिज की अपील आदि के वाद लंबित रहे। मौजूदा माह में तीन वाद दायर हो गए। 30 वादों का निस्तारण हुआ। तहसीलदार न्यायालय में 15 दिसंबर तक 784 वाद लंबित रह गए। तहसीलदार न्यायायिक के न्यायालय में 1139, नायब तहसीलदार टांडा के न्यायालय में 235, नायब तहसीलदार बस़खारी के न्यायालय में 507 वाद लंबित रहे। उपजिलाधिकारी कोमल यादव ने बताया कि विभिन्न कारणों से नियमित सुनवाई नहीं हो पाती है। लंबित वादों का निस्तारण प्राथमिकता के आधार पर किया जा रहा है।