Ambedkarnagar News: बाढ़ प्रभावित 2670 किसानों को मिलने लगी क्षतिपूर्ति, 2 से 45 हजार रुपये तक की सहायता

जिला प्रशासन ने सोमवार तक चिह्नित किसानों के सापेक्ष लगभग 1900 के बैंक खाते में आनलाइन आर्थिक मदद की पहुंचा चुका है। मंगलवार तक बाढ़ प्रभावित सभी किसानों को उनके बैंक खाते में फसल के क्षतिपूर्ति की धनराशि मिल जाएगी।

By arvind kumar singhEdited By: Publish:Mon, 14 Nov 2022 10:53 PM (IST) Updated:Tue, 15 Nov 2022 06:18 AM (IST)
Ambedkarnagar News: बाढ़ प्रभावित 2670 किसानों को मिलने लगी क्षतिपूर्ति, 2 से 45 हजार रुपये तक की सहायता
आलापुर व टांडा के 1900 किसानों को मिलेगा लाभ।

अंबेडकरनगर, जागरण संवाददाता। घाघरा नदी की बाढ़ किसानों की सैकड़ों बीघा फसल निगल चुकी है। किसानों के दर्द पर सरकार आर्थिक मदद का मरहम लगा रही है। इसमें टांडा एवं आलापुर तहसील के 2670 किसान चयनित हुए हैं। शासन के मानक के अनुसार 25 प्रतिशत से अधिक फसल नष्ट होने पर क्षतिपूर्ति मिलती है। इसमें आलापुर के 1720 व टांडा के 950 किसानों को क्षतिपूर्ति का लाभ मिल रहा है।

जिला प्रशासन ने सोमवार तक चिह्नित किसानों के सापेक्ष लगभग 1900 के बैंक खाते में आनलाइन आर्थिक मदद की पहुंचा चुका है। मंगलवार तक बाढ़ प्रभावित सभी किसानों को उनके बैंक खाते में फसल के क्षतिपूर्ति की धनराशि मिल जाएगी। इसमें दो हजार रुपये से लेकर 45 हजार रुपये तक की सहायता दी जा रही है।

प्रतिवर्ष होती है किसानों की फसल तबाह

जिला मुख्यालय की उत्तरी सीमा पर आलापुर और टांडा तहसील से होकर प्रवाहित घाघरा नदी की बाढ़ विभीषिका में प्रतिवर्ष किसानों की फसल तबाह होती है। इसवर्ष की बाढ़ में जलस्तर खतरे के लाल निशान 92.730 को पार कर लगभग डेढ़ मीटर ऊपर तक चढ़ गया था। इससे दोनों तहसीलों में लगभग 150 बीघा भूमि की कटान हुई थी। इसमें धान की फसल लगे खेत शामिल रहे। जलमग्न होने से भी फसलें बर्बाद हुईं।

अपर जिलाधिकारी अशोक कुमार कनौजिया ने बताया कि आलापुर तथा टांडा के किसानों को क्षतिपूर्ति मिल रही है। अन्य तहसीलों में मानक के अनुसार फसल की क्षति नहीं मिली है।

भीटी, अकबरपुर व जलालपुर तहसील को नहीं लाभ

अकबरपुर, भीटी तथा जलालपुर तहसील से होकर बहती तमसा, बिसुही तथा मझुई नदियों में भी बारिश के दौरान उफान आया था। इसमें भी किसानों की फसल नष्ट हुई थी। शासन के मानक अनुसार यहां 25 प्रतिशत से अधिक फसलों का नुकसान नहीं हुआ है। ऐसे में इन तहसीलों को क्षतिपूर्ति नहीं मिल रहा है।

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