देशी व कलमी आम की रहेगी बहार

गौहनिया, इलाहाबाद : फलों के राजा आम की फसल ने इस वर्ष किसानों के चेहरों पर रौनक बिखेर

By JagranEdited By: Publish:Tue, 13 Mar 2018 05:56 PM (IST) Updated:Tue, 13 Mar 2018 05:56 PM (IST)
देशी व कलमी आम की रहेगी बहार
देशी व कलमी आम की रहेगी बहार

गौहनिया, इलाहाबाद : फलों के राजा आम की फसल ने इस वर्ष किसानों के चेहरों पर रौनक बिखेर दी है। समूचे यमुनापार में आम के पेड़ों में बौर लदा देख किसान इस बार अंदाजा लगा रहे हैं कि फसल से अच्छा मुनाफा कमाया जा सकेगा, बशर्ते मौसम न विपरीत हो।

यमुनापार के समूचे क्षेत्र सहित और यमुना के तराई वाले क्षेत्र के कई गांवों में किसानों ने आम की बागवानी व्यावसायिक तौर पर की है। अधिकांश किसानों ने अपने बाग में भारी मात्रा में कलमी, चौसा, लंगड़ा, सफेदा, दशहरी के साथ देशी आम के पौधों को लगाया है। इन क्षेत्रों में वसंत ऋतु के आगमन के बाद से आम के देशी व अन्य प्रजातियों के पेड़ों में बौर लद गए हैं। क्षेत्र के आम उत्पादक किसान आम के पेड़ पर पर्याप्त बौर होने से संतुष्ट नजर आ रहे हैं। आम के बगीचों में पेड़ों की रखवाली करने के साथ पेड़ों की देखरेख की जा रही है।

घूरपुर क्षेत्र के आम की बागवानी करने वाले किसान वासुदेव व जंगी लाल ने बताया कि बेहतर मौसम के कारण हाईब्रिड और देशी आम के पेड़ों में इस साल अच्छे बौर होने से इस बार उन्हें अच्छी फसल की उम्मीद है। आम के बाग के मालिक सुंदर लाल पाल निवासी बुदावां का कहना है की मौसम का रुख अभी तक आम की फसल के पक्ष में है। यदि आगे भी इसी तरह मौसम अनुकूल रहा तो फलों के राजा का रिकार्ड तोड़ उत्पादन होगा। गांव गिरांव में एक दो आम के पौधे लगाने वाले भी खुश हैं। उन्हें भी इस वर्ष ताजे ताजे आम रोजाना खाने को मिलने की उम्मीदें है। बता दें कि यमुनापार में देशी प्रजाति के आम का उत्पादन अधिक मात्रा में होता है। देशी और कलमी आम की प्रजाति का उत्पादन अगर अच्छा होगा तो बाजार में आवक के समय किसानों को अच्छी कमाई की उम्मीद है।

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तेज बारिश व तूफान से हो सकता नुकसान

हल्की बूंदाबांदी के साथ नम मौसम आम की फसल के लिए बेहतर मुफीद साबित होता है। वहीं आंधी के साथ तेज बारिश आम की फसल के लिए नुकसानदायक होती है। बागवानों के किसान बताते हैं तूफान से जहां बौर और फल झर जाते हैं, वहीं यदि तेज बारिश होती है तो आम में फंगस लग सकता है। इस रोग से 30 से 40 प्रतिशत फसल खराब हो सकती है। वहीं पछुआ हवा से कीटाणुओं से खतरा भी रहता है, जिस पर कीटनाशक दवाओं का छिड़काव भी जरूरी होता है।

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