'कोई दीवाना कहता है.. पर झूम उठी एनसीजेडसीसी की एमहफिल Prayagraj News

उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र में कुमार विश्‍वास समेत अन्‍य प्रख्‍यात कवियों ने अपनी प्रस्तुति से श्रोताओं का मनोरंजन किया। कवियों को सुनने के लिए देर रात तक भीड़ जुटी।

By Edited By: Publish:Fri, 27 Sep 2019 02:18 AM (IST) Updated:Fri, 27 Sep 2019 02:36 PM (IST)
'कोई दीवाना कहता है.. पर झूम उठी एनसीजेडसीसी की एमहफिल Prayagraj News
'कोई दीवाना कहता है.. पर झूम उठी एनसीजेडसीसी की एमहफिल Prayagraj News

प्रयागराज, जेएनएन। उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र (एनसीसीजेडसीसी) के प्रांगण में गुरुवार रात कवियों ने अपनी रचनाओं के माध्यम से श्रोताओं को खूब ठहाके लगवाए। राजनीति पर चुटीले अंदाज में हास्य रचनाओं के लिए विख्यात डॉ कुमार विश्वास ने अपने चिर-परिचित अंदाज में एक से एक कविताएं सुनाकर श्रोताओं का दिल जीता। वहीं बड़ोदरा (गुजरात) से आयीं श्वेता सिंह और कानपुर के डॉ सुरेश अवस्थी सहित अन्य कवियों ने भी काव्य पाठ कर महफिल सजाई।

...ये दिल बर्बाद करके इसमें क्यों आबाद रहते हो

डॉ कुमार विश्वास ने 'ये दिल बर्बाद करके इसमें क्यों आबाद रहते हो, कोई कल कह रहा था तुम इलाहाबाद रहते हो-ये कैसी शोहरतें मुझको अता कर दीं मेरे मौला, मैं सब कुछ भूल जाता हूं मगर तुम याद रहते हो' से प्रस्तुतियों की शुरुआत कर प्रयागराज वासियों को नमन किया। दैनिक जागरण और ध्येय आइएएस के इस संयुक्त आयोजन का साक्षी बनने के लिए हजारों लोग मौसम प्रतिकूल होने के बावजूद देर रात तक डटे रहे। डॉ कुमार विश्वास ने कविताओं की श्रृंखला में 'जहां हर दिन सिसकना है जहां हर रात गाना है-हमारी जिंदगी भी एक तवायफ का घराना है-बहुत मजबूर होकर गीत रोटी के लिखे मैंने, तुम्हारी याद का क्या है उसे तो रोज आना है', 'मैं अपने गीत गजलों से उसे पैगाम करता हूं उसी की दी हुई दौलत उसी के नाम करता हूं-हवा का काम है चलना दिए का काम है जलना, वो अपना काम करती है मैं अपना काम करता हूं' सुनाकर खूब तालियां बजवाई।

श्रोताओं को झूमने पर किया विवश

कुमार विश्‍वास ने अपनी सुप्रसिद्ध रचना 'कोई दीवाना कहता है कोई पागल समझता है, मगर धरती की बेचैनी को बस बादल समझता है' सुनाया तो मौजूद सभी श्रोताओं ने भी अपनी आवाज में उनका साथ दिया। खास बात यह रही कि डॉ कुमार विश्वास ने मंच का संचालन भी किया।

श्वेता ने युवा दिलों को झंकृत किया

कवि सम्मेलन में बड़ोदरा से आई श्वेता सिंह ने 'उधर तुम हमपे मरते हो इधर हम तुमपे मरते हैं, न तुम दुनिया से डरते हो न हम दुनिया से डरते हैं-मगर फिर भी हमारे बीच ये दूरियां क्यों हैं, मोहब्बत तुम भी करते मोहब्बत हम भी करते हैं' सुनाकर युवा दिलों को झंकृत किया। डॉ सुरेश अवस्थी ने 'अबकी बार स्वतंत्रता दिवस पर तिरंगा और ऊंचा लहराया क्योंकि अबकी बार पूरे भारत ने स्वतंत्रता दिवस मनाया' सुनाकर कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटने की खुशी जन-जन के बीच फैलाई।

डॉ अनिल ने हंसी से लोटपोट कर दिया

वाराणसी से आए डॉ अनिल चौबे ने 'नया-नया टीवी जब घर में खरीदा गया हाथ में रिमोट ले पसर गए बाबू जी-चार बजे भोर से धर्म की बात सुन आस्था की नदी में उतर गए बाबू जी' सुनाकर लोगों को हंसी से लोटपोट कर दिया। प्रख्यात मिश्रा ने देश के वीर सैनिकों के शौर्य से ओतप्रोत कविताएं सुनाकर लोगों में देशभक्ति का जज्बा भरा। कानपुर से आए दिलीप दुबे ने 'भले ही प्रेमिका अपने दिल को बहुत सुहाती है जो विपरीत परिस्थिति में छोड़ जाती है-लेकिन पत्‍‌नी जीवन भर साथ निभाती है' सुनाकर श्रोताओं का दिल जीता। अध्यक्षता कर रहे उर्दू के मशहूर शायर डॉ कलीम केसर ने 'इन आंखों में डूब मरो अपनी चाहत में ढल जाओ-इश्क करो तो पागल कर दो या खुद पागल हो जाओ' सुनाकर खूब श्रोताओं की खूब सराहना पाई।

ये अतिथि रहे मौजूद

इससे पहले कवि सम्मेलन का दीप जलाकर उदघाटन मुख्य अतिथि डीआइजी केपी सिंह, दैनिक जागरण प्रयागराज के महाप्रबंधक मनीष चतुर्वेदी, संपादकीय प्रभारी मदन मोहन सिंह, एरिया मैनेजर ईस्ट यूपी संदीप शर्मा और विज्ञापन प्रबंधक नितिन माथुर ने किया।

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