..तो महादेवी वर्मा को नही जानता नगर निगम
शहर के किसी भी कोने मे यदि छोटी सी दुकान या मकान बनता है तो नगर निगम की नोटिस पहले पहुंच जाती है कि अब उसे हाउस टैक्स देना होगा।
जागरण संवाददाता, इलाहाबाद : शहर के किसी भी कोने मे यदि छोटी सी दुकान या मकान बनता है तो नगर निगम की नोटिस पहले पहुंच जाती है कि अब उसे हाउस टैक्स देना होगा। ऐसे मे सवाल उठता है कि नगर निगम महीयसी महादेवी वर्मा को नोटिस जारी करने के पहले क्यो अलर्ट नही हुआ। इतनी बड़ी महीयसी को क्या नगर निगम नही जानता? निगम की यह घोर लापरवाही मानी जा रही है। उधर, कांग्रेस पार्षद दल के नेता व निगम कार्यकारिणी के सदस्य मुकुंद तिवारी ने कहा कि इसमे नगर निगम की लापरवाही है। हम शनिवार को कमिश्नर से मिलकर इस संबंध मे ज्ञापन देगे और मांग करेगे कि जिसने महादेवी वर्मा के नाम गृहकर नोटिस जारी किया है, उनके खिलाफ कार्रवाई की जाय। करीब पांच दिन पहले नगर निगम की ओर से महीयसी महादेवी वर्मा के नाम नोटिस जारी कर दिया गया। नोटिस उनके अशोक नगर नेवादा स्थित मकान के बकाए गृह कर के लिए भेजा गया था। कर अधीक्षक की ओर से इसमे स्पष्ट लिखा गया है कि यदि 15 दिन के भीतर गृहकर नही जमा किया जाता है तो उसकी कुर्की कर दी जाएगी। ............. अपनी गलती छिपा रहा निगम यह बात सभी जानते है कि महीयसी महादेवी वर्मा का निधन हो चुका है। ऐसे मे उनके नाम नोटिस जारी करना नगर निगम की घोर लापरवाही मानी जा रही है। यहां सवाल यह उठता है कि क्या स्थानीय भवन निरीक्षक को इस भवन के बारे मे पता नही था कि यह भवन किसके नाम है। और आए दिन बिल की कापी भेजी जाती रही। कम से कम नोटिस जारी करने के पहले इस लिस्ट को देखना चाहिए था कि यह किसके नाम है। ......... क्या कहते है मुख्य कर निर्धारण अधिकारी नगर निगम के मुख्य कर निर्धारण अधिकारी पीके मिश्रा ने कहा कि ऐसा तो है नही कि महादेवी वर्मा सिर्फ एक ही है। गृहकर की सभी नोटिस कंप्यूटर से निकाली जाती है। अब ऐसे मे यह कैसे पता किया जाय कि महादेवी वर्मा कौन है। महादेवी वर्मा का नाम काटने के लिए अभी तक किसी ने आवेदन नही किया। हम स्वत: किसी का नाम नही काटते है। यह अलग बात है कि वह महीयसी के ही नाम का नोटिस निकल गया। उस मकान मे न किसी ट्रस्ट का नाम है न ही बोर्ड लगा है। पत्र भेजा गया है। जवाब मिलने के बाद अगला निर्णय लिया जाएगा।