इलेक्ट्रॉनिक बसों के संचालन में फंसा जमीन का पेच Prayagraj News

रजिस्ट्री के लिए अभिलेख उपलब्ध कराने से पहले ही रजिस्ट्री के दाम बढ़ गए। शासन ने इलेक्ट्रॉनिक बसों के लिए जो बजट स्वीकृत किया है उसमें रजिस्ट्री के दाम बढ़ जाने से अंतर आ गया है।

By Brijesh SrivastavaEdited By: Publish:Sun, 15 Mar 2020 07:00 AM (IST) Updated:Sun, 15 Mar 2020 07:00 AM (IST)
इलेक्ट्रॉनिक बसों के संचालन में फंसा जमीन का पेच Prayagraj News
इलेक्ट्रॉनिक बसों के संचालन में फंसा जमीन का पेच Prayagraj News

प्रयागराज,जेएनएन। इलेक्ट्रॉनिक बसें शहर में संचालित होने के लिए अभी लंबा इंतजार करना होगा। क्योंकि बसों की बैटरी चार्जिंग स्टेशन के लिए नैनी में ली गई जमीन की रजिस्ट्री का पेच फंस गया है। उप्र के फरवरी में घोषित बजट में इलेक्ट्रॉनिक बसों के संचालन की स्वीकृति होने के बावजूद जमीन की रजिस्ट्री नहीं हो सकी। कुछ ही दिनों में रजिस्ट्री के दाम बढ़ गए। जिससे इलेक्ट्रॉनिक बसों की योजना के लिए निर्धारित बजट पुनरीक्षित कराने की नौबत आ गई है। फिलहाल शासन में इस संबंध में पत्राचार किया गया है।

बजट में प्रदेश सरकार ने महानगरों में इलेक्ट्रॉनिक बसों के संचालन की दी है स्वीकृति

प्रदेश सरकार ने एक फरवरी को बजट घोषित किया था। जिसमें महानगरों में इलेक्ट्रॉनिक बसों के संचालन की स्वीकृति दी गई थी। इसके तहत प्रयागराज में 50 बसें संचालित करने की पूर्व प्रस्तावित योजना पर भी मोहर लग गई थी। बसों की चार्जिंग प्वाइंट के लिए प्रयागराज विकास प्राधिकरण ने नैनी के जहांगीराबाद में जमीन उपलब्ध कराई। जल निगम को इस पर काम करना है लेकिन, उससे पहले जमीन की रजिस्ट्री प्रयागराज सिटी ट्रांसपोर्ट लिमिटेड के नाम होनी है। रजिस्ट्री के लिए पर्याप्त अभिलेख उपलब्ध कराने से पहले ही रजिस्ट्री के दाम बढ़ गए। ऐसे में शासन ने इलेक्ट्रॉनिक बसों के लिए जो बजट स्वीकृत किया है उसमें रजिस्ट्री के दाम बढ़ जाने से काफी अंतर आ गया है।

जमीन की रजिस्ट्री के दाम 10-12 प्रतिशत बढ़ने से हुई दिक्‍कत

सिटी बसों के संचालन का अतिरिक्त कार्य देख रहे रोडवेज के प्रयागराज क्षेत्रीय प्रबंधक टीकेएस बिसेन का कहना है कि रजिस्ट्री प्रयागराज विकास प्राधिकरण को करना है। इसके लिए जो जरूरी अभिलेख मांगे गए थे वह समय रहते उपलब्ध कराए गए, लेकिन अभिलेख जमा होने के दौरान ही जमीन की रजिस्ट्री के दाम 10-12 प्रतिशत बढ़ गए। ऐसे में शासन में पत्र भेजकर समस्या बताई गई है और बजट को पुनरीक्षित करने का आग्रह किया गया है।

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