Pitra Paksha 2020 : प्रयागराज के संगम तट आने की जरूरत नहीं, घर बैठे वाट्सएप व फेसबुक लाइव से होगा पिंडदान

Pitra Paksha 2020 कोरोना वायरस के संक्रमण की वजह से इस बार प्रयागराज के संगम तट पर तर्पण और पिंडदान करने वालों की भीड़ नहीं रहेगी। प्रवासी भारतीयों के लिए ऑनलाइन व्‍यवस्‍था है।

By Brijesh SrivastavaEdited By: Publish:Sat, 29 Aug 2020 10:48 AM (IST) Updated:Sat, 29 Aug 2020 05:53 PM (IST)
Pitra Paksha 2020 : प्रयागराज के संगम तट आने की जरूरत नहीं, घर बैठे वाट्सएप व फेसबुक लाइव से होगा पिंडदान
Pitra Paksha 2020 : प्रयागराज के संगम तट आने की जरूरत नहीं, घर बैठे वाट्सएप व फेसबुक लाइव से होगा पिंडदान

प्रयागराज, [शरद द्विवेदी]। कोरोना वायरस संक्रमण से प्रयागराज भी प्रभावित है। ऐसे में पितृपक्ष भी दो सितंबर से शुरू हो रहा है। पितृपक्ष में अपने पूर्वजों (पुरखों) को नमन कर उनके प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने का विधान है।  संगम तट पर पिंडदान व तर्पण के लिए दूर-दूर से लोग आते रहे हैं। विदेश में बसे प्रवासी भारतीय भी पितृपक्ष में यह धर्म निभाते हैैं। हालांकि इस बार कोरोना वायरस संक्रमण के कारण लोगों का यहां आ पाना संभव नहीं होगा। हालांकि इसके लिए भी तैयारी शुरू हो गई है। इसके तहत लोग अपने घरों में रहकर भी तर्पण और पिंडदान कर सकेंगे।

योग गुरु स्‍वामी आनंद गि‍रि ने की पहल

प्रयागराज में योगगुरु स्वामी आनंद गिरि ने इस ओर पहल की है। वह विदेश में रहने वाले अपने शिष्यों के पूर्वजों के निमित्त संगम तट पर वाट्सएप व फेसबुक लाइव के जरिए तर्पण व पिंडदान कराएंगे। विदेश में प्रवासी भारतीय पूजन कर सारी सामग्री संभालकर रखेंगे। कोरोना वायरस का संक्रमण खत्म होने पर प्रयागराज आकर संगम में उसे विसर्जन करेंगे।

15 दिन व्यतीत करेंगे साधारण जीवन

पितृपक्ष में प्रवासी भारतीय 15 दिन तक साधारण जीवन व्यतीत करेंगे। घर में पितरों के निमित्त सुबह जल अर्पित करेंगे। मांस, मदिरा का सेवन नहीं करेंगे। सात्विक भोजन ग्रहण करेंगे।

17 सितंबर को होगा तर्पण : आनंद गिरि 

स्वामी आनंद गिरि बताते हैं कि विदेश में बसे हिंदू अपने धर्म व संस्कृति से जुड़कर उसकी परंपराओं का पालन करें, उसके लिए पितृपक्ष में तर्पण कराया जाएगा। ओमान के मस्कट के व्यवसायी प्रदीप त्रिपाठी, सिडनी के मिंटो पार्क निवासी अकाउंटेंट गजेंद्र सिंह, लंदन के इल्फर्ड निवासी बैंकर अमित कपूर, टोरंटो के ब्रेमटन निवासी सीए कुलदीप गुप्त, बैंकॉक निवासी व्यवसायी अमर मिश्र, लंदन निवासी व्यवसायी मनीष पटेल के पूर्वजों के निमित्त तर्पण व पिंडदान किया जाएगा। उन्‍होंने बताया कि इसमें किसी को अपने पूर्वजों की मृत्यु की तिथि नहीं पता है। इस कारण सबके नाम व गोत्र के अनुसार अमावस्या तिथि (17 सितंबर) को तर्पण व पिंडदान किया जाएगा। अमावस्या तिथि पर हर मृतक के तर्पण व पिंडदान का विधान है।

ज्योतिर्विद आचार्य देवेंद्र बोले-तर जाती हैं 21 पीढिय़ां

ज्योतिर्विद आचार्य देवेंद्र प्रसाद त्रिपाठी बताते हैं कि पितृपक्ष में तीर्थराज प्रयाग में सबसे पहले पिंडदान व तर्पण करने का विधान है। गरुण पुराण में इसका विशेष उल्लेख है। प्रयागराज के बाद काशी व गया में पिंडदान किया जाता है। बताते हैं कि प्रयाग में परमपिता ब्रह्मजी ने सृष्टि रचना के लिए यज्ञ की वेदी बनाई थी। गंगा, यमुना व अदृश्य सरस्वती का पावन संगम यहीं हैं। यहां पिंडदान करने से पूर्वज तृप्त होते हैं और 21 पीढिय़ां तर जाती हैं।

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