न संसाधन, न मैनपॉवर और खुल गया साइबर थाना

साइबर थाना खुल तो गया है लेकिन वहां न तो संसाधन हैं और न ही मैनपॉवर। अपराधियों पर नकेल कैसे कसी जाएगी यह बड़ा सवाल है।

By JagranEdited By: Publish:Thu, 13 Aug 2020 09:35 PM (IST) Updated:Thu, 13 Aug 2020 09:35 PM (IST)
न संसाधन, न मैनपॉवर और खुल गया साइबर थाना
न संसाधन, न मैनपॉवर और खुल गया साइबर थाना

जासं, प्रयागराज : न संसाधन, न मैनपॉवर, फिर भी खुल गया साइबर थाना। जी हां। रेंज स्तर पर साइबर क्राइम पर अंकुश लगाने और दर्ज मुकदमों की विवेचना के लिए खोले गए साइबर थाने का अभी यही हाल है। ऐसे में साइबर अपराधियों की गिरफ्तारी से लेकर दूसरे उद्देश्य की पूíत कैसे होगी? पुलिस के सामने यह बड़ा सवाल है।

आइजी रेंज कार्यालय में साइबर थाना बनाने की प्रक्रिया पहले से चल रही थी। गुरुवार को साइबर थाना प्रभारी का सीयूजी नंबर और ईमेल आइडी जारी करके थाना खोलने का आदेश लखनऊ से जारी हो गया। इंस्पेक्टर राजीव तिवारी को साइबर थाने का प्रभारी भी बना दिया गया है। लेकिन थाने में न कंप्यूटर है और न इलेक्ट्रानिक उपकरण हैं। इतना ही नहीं, साइबर थाने में डिप्टी एसपी से लेकर सफाइकर्मी तक पद सृजित किए गए हैं, पर तैनाती नहीं हो सकी है।

अगर साइबर क्राइम की बात की जाए तो रेंज के चार जिलों प्रयागराज, प्रतापगढ़, कौशांबी और फतेहपुर में रोजाना 10 से अधिक मुकदमे दर्ज होते हैं। हालांकि साइबर थाने में एक लाख से अधिक की धोखाधड़ी और बड़े मामलों की विवेचना ही की जाएगी। दूसरे जनपदों से शिकायत कैसे ली जाएगी, इस संबंध में भी स्पष्ट निर्देश नहीं दिए गए हैं।

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किन का क्या होगा काम-

थानों के नियंत्रण और पर्यवेक्षण के लिए डिप्टी एसपी। साइबर अपराध की विवेचनाओं में विधिक परामर्श और अभियोजन की पैरवी अभियोजन अधिकारी करेंगे। इंस्पेक्टर साइबर अपराध के प्रकरण की जांच करेंगे। इंफार्मेशन टेक्नोलॉजी के विशेषज्ञ इंस्पेक्टर स्तर के होंगे, जो तकनीकी पर्यवेक्षण और विश्लेषण करेंगे। इसी तरह हेड कांस्टेबल, कंप्यूटर ऑपरेटर, सिपाही समेत अन्य की अलग-अलग भूमिका होगी।

... इन मामलों की होगी विवेचना-

आइटी एक्ट के ऐसे अपराध जिसमें एक लाख से अधिक की धोखाधड़ी हो। जनपद स्तर पर जिन मुकदमों की विवेचना संभव न हो, उसे साइबर थाना देखेगा। बच्चों के अश्लील वीडियो, हैकिग, क्रिप्टो-कैरेंसी, ऑनलाइन साइबर ट्रैफिकिग, सोशल मीडिया संबंधी अन्य अपराधों की जांच और विवेचना की जाएगी।

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वर्जन-

बजट में विलंब के कारण साइबर थाना के लिए जरूरी संसाधन नहीं मिल पाया है। पुलिस कर्मियों की तैनाती जल्द की जाएगी और उन्हें साइबर अपराध से जुड़ी ट्रेनिग दी जाएगी।

- केपी सिंह, आइजी

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