जाने प्रयागराज से इलाहाबाद और फिर प्रयागराज बनने की इतिहास यात्रा

भारतरत्न महामना मदनमोहन मालवीय ने अंग्रेजी शासनकाल में सबसे पहले यह आवाज उठाई थी। बाद में अनेक संस्थानों ने समय-समय पर यह मांग दोहराई।

By Ashish MishraEdited By: Publish:Mon, 15 Oct 2018 10:04 PM (IST) Updated:Tue, 16 Oct 2018 08:09 AM (IST)
जाने प्रयागराज से इलाहाबाद और फिर प्रयागराज बनने की इतिहास यात्रा
जाने प्रयागराज से इलाहाबाद और फिर प्रयागराज बनने की इतिहास यात्रा

इलाहाबाद [शरद द्विवेदी]। प्रयागराज की बात अब दूर तलक जाएगी। ब्रह्मा की यज्ञस्थली, महर्षि भारद्वाज की तपस्थली, संगम से अपनी खास पहचान रखने वाला इलाहाबाद अब प्रयागराज के नाम से जाना जाएगा। वैसे वेद-पुराणों में इसका बखान प्रयागराज के रूप में ही है। प्रयागराज को इलाहाबाद नाम मुगल शासक अकबर की देन है। इसे पुन: प्रयागराज नाम देने के लिए समय-समय पर आवाज उठती रही है। भारतरत्न महामना मदनमोहन मालवीय ने अंग्रेजी शासनकाल में सबसे पहले यह आवाज उठाई थी। बाद में अनेक संस्थानों ने समय-समय पर यह मांग दोहराई।

इलाहाबाद केंद्रीय विश्वविद्यालय में मध्यकालीन एवं आधुनिक इतिहास विभागाध्यक्ष प्रो. योगेश्वर तिवारी बताते हैं कि अकबर आक्रांता था, जिसने भारतीय लोगों को दबाने व डराने के लिए 1574 में प्रयागराज का नाम बदलकर इलाहाबास कर दिया, जिसका अर्थ 'जहां अल्लाह का वास होना है। धीरे-धीरे इलाहाबास का संबोधन इलाहाबाद के रूप में होने लगा। भारतीयों को नीचा दिखाने व अपना प्रभाव देश के अनेक कोनों में फैलाने के लिए उसने संगम तट पर विशाल किला बनवाया।

विश्व पुरोहित परिषद के अध्यक्ष प्रो. विपिन पांडेय बताते हैं कि महामना मदनमोहन मालवीय ने 1939 में इलाहाबाद का नाम बदलने की मुहिम छेड़ी थी। उन्होंने जैसे गंगा रक्षा के लिए आंदोलन चलाया था, ठीक उसी प्रकार देश के उन प्रमुख धार्मिक स्थलों का नाम भी बदलने की मुहिम छेड़ी थी, जिन्हें मुगल शासनकाल में बदला गया था। उस दौर में नाम तो नहीं बदला गया, लेकिन महामना के प्रयास से अधिकतर भारतीय अपने शहर की प्राचीनतम पहचान से जुड़ गए थे।

1996 के बाद इलाहाबाद का नाम बदलने की मुहिम पुरजोर तरीके से चली। अखाड़ा परिषद अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि भी इलाहाबाद का नाम बदलने की मुहिम में आगे आए। प्रयागराज सेवा समिति, भारत भाग्य विधाता, परिवर्तन मानव विकास संस्थान, परिवर्तन संस्था, प्रयाग विद्वत परिषद जैसी संस्थाएं भी हस्ताक्षर अभियान चलाकर इलाहाबाद का नाम बदलने की मांग करती रही हैं।

 

ब्रह्मानंद ने लिखा था नेहरू को पत्र

देश को आजादी मिलने के बाद स्वामी ब्रह्मानंद सरस्वती ने इलाहाबाद का नाम प्रयागराज करने के लिए 1954 में तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू को पत्र लिखा था। स्वामी ब्रह्मानंद ने वेद-पुराणों का हवाला देते हुए नेहरू से मांग की थी कि इलाहाबाद को प्रयागराज का नाम देना चाहिए, क्योंकि इससे ङ्क्षहदुओं की धार्मिक व मानसिक भावनाएं जुड़ी हैं।

इंदिरा से मिले थे हरिचैतन्य

टीकरमाफी आश्रम पीठाधीश्वर स्वामी हरिचैतन्य ब्रह्मचारी ने अक्टूबर 1982 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी से हुई मुलाकात में इलाहाबाद का नाम बदलने की मांग की थी। स्वामी हरिचैतन्य बताते हैं कि 'जन्मस्थली होने के चलते इंदिरा का प्रयाग से भावनात्मक जुड़ाव था, इसीलिए उन्होंने मेरी मांग पर उचित कार्रवाई का आश्वासन दिया था।  

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