प्रयागराज कुंभ में हेल्थ मैनेजमेंट परख रहे इंडो-ब्रिटिश पेशेवर

प्रयागराज कुंभ में हेल्थ मैनेजमेंट को इंडो-ब्रिटिश पेशेवर परख रहे हैं। आइआइएम इंदौर के साथ स्कॉटलैंड की दो यूनिवर्सिटी के प्रोफेशनल भी अध्ययन में जुटे हुए हैं।

By Brijesh SrivastavaEdited By: Publish:Sun, 13 Jan 2019 08:23 PM (IST) Updated:Tue, 15 Jan 2019 08:26 AM (IST)
प्रयागराज कुंभ में हेल्थ मैनेजमेंट परख रहे इंडो-ब्रिटिश पेशेवर
प्रयागराज कुंभ में हेल्थ मैनेजमेंट परख रहे इंडो-ब्रिटिश पेशेवर

श्रीनारायण मिश्र, प्रयागराज : इंडो-ब्रिटिश पेशेवर प्रयागराज कुंभ में हेल्थ मैनेजमेंट को इन दिनों परख रहे हैं। आइआइएम इंदौर के साथ स्कॉटलैंड की दो यूनिवर्सिटी के प्रोफेशनल भी अध्ययन में जुटे हुए हैं। चिकित्सा प्रबंधन के साथ उसके सामाजिक व मनोवैज्ञानिक पहलू का भी अध्ययन करेंगे।

आस्था का सैलाब और स्वास्थ्य

आस्था से बंधा करोड़ों का जनसैलाब जब टेंट से बने एक छोटे से शहर में समा जाता है। दो किलोमीटर भी पैदल न चलने वाला, जब दसियों किलोमीटर पैदल चलता है। छोटी-मोटी बीमारियां को दरकिनार कर कड़कती ठंड में संगम स्नान करता है, तो उनकी सेहत का ख्याल कैसे रखा जाता है? इतना विशाल प्रबंधन कैसे होता है? अलग-अलग वेष, भाषा और रहन-सहन वाले लोगों से स्वास्थ्य कार्यकर्ता कैसे पेश आते हैं? इस प्रबंधन का का सामाजिक और मनोवैज्ञानिक पहलू क्या है? कुंभ को लेकर ऐसे जाने कितने सवाल मैनेजमेंट के बड़े-बड़े पेशेवरों के दिमाग को मथते हैं। इन्हीं का जवाब ढूंढऩे स्कॉटलैंड की दो यूनिवर्सिटी और आइआइएम इंदौर की संयुक्त टीम कुंभ में आई है।

आइआइएम इंदौर का प्रोजेक्ट

यह अध्ययन आइआइएम इंदौर का प्रोजेक्ट है, जिसे लीड कर रही हैं वहां की डॉ. श्रुति तिवारी। श्रुति के साथ स्कॉटलैंड स्थित डंडी यूनिवर्सिटी के प्रो. निकोलस हाप्किंस, यूनिवर्सिटी ऑफ सेंट एंड्रयूज के प्रो. राइचर और इलाहाबाद विश्वविद्यालय के नारायणन श्रीनिवासन काम कर रहे हैं। यह अध्ययन सकारात्मक और नकारात्मक दोनों पहलू से किया जा रहा है। इसलिए इसमें स्वास्थ्य सुविधा देने वाली आशा कार्यकर्ताओं से लेकर एडी हेल्थ तक की राय जुटाई जा रही है। इसके साथ ही जिन लोगों को स्वास्थ्य सुविधा मिल रही है, या जिन्हें इस सुविधा की जरूरत है। उन श्रद्धालुओं से भी यह टीम बात करेगी।

डॉ. श्रुति ने कहा, अध्ययन के होंगे फायदे

डॉ. श्रुति बताती हैं कि इस अध्ययन के अनेक फायदे होंगे। इस पर पेपर तो प्रकाशित किया ही जाएगा, साथ ही देश या विदेश के बड़े आयोजनों में भी इससे मदद मिलेगी। जो सकारात्मक पहलू होंगे, उन्हें अन्य आयोजनों में इस्तेमाल करने का सुझाव दिया जाएगा। साथ ही जो खामियां मिलेंगी। उन्हें आगे दूर किया जा सके। इस संबंध में तथ्यपरक सुझाव उपलब्ध रहेंगे।

अध्ययन के प्रमुख बिंदु

- स्वास्थ्य कार्यकर्ता श्रद्धालुओं के बारे में किस तरह सोचते हैं?

- उनकी सोच का मनोवैज्ञानिक और सामाजिक पहलू क्या है?

- श्रद्धालुओं के अतिरिक्त व्यापारी या कर्मचारियों की सेहत का इंतजाम कैसे होता है?

- आने वाले श्रद्धालु इन इंतजामों को किस नजरिए से देखते हैं?

- श्रद्धालु इस इंतजाम से कितने संतुष्ट रहते हैं?

- श्रद्धालुओं की मनोदशा कैसी होती है, छोटे-मोटे इलाज वे करवाते हैं या नहीं?

प्रयागराज की बेटी हैं श्रुति

इस अध्ययन दल की मुखिया डॉ. श्रुति तिवारी इसी शहर की रहने वाली हैं। वह अपने बारे में केवल इतना बताती हैं इलाहाबाद विश्वविद्यालय से ही उन्होंने पीएचडी की है।

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