हाईकोर्ट ने कर्मचारियों का महंगाई भत्ता रोकने पर केंद्र और उत्तर प्रदेश सरकार से मांगा जवाब

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कर्मचारियों का महंगाई भत्ता व महंगाई राहत रोकने के फैसले के खिलाफ दाखिल याचिका पर केंद्र व प्रदेश सरकार से जवाब जवाब तलब किया है।

By Umesh TiwariEdited By: Publish:Tue, 23 Jun 2020 10:32 PM (IST) Updated:Tue, 23 Jun 2020 10:33 PM (IST)
हाईकोर्ट ने कर्मचारियों का महंगाई भत्ता रोकने पर केंद्र और उत्तर प्रदेश सरकार से मांगा जवाब
हाईकोर्ट ने कर्मचारियों का महंगाई भत्ता रोकने पर केंद्र और उत्तर प्रदेश सरकार से मांगा जवाब

प्रयागराज, जेएनएन। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कर्मचारियों का महंगाई भत्ता व महंगाई राहत रोकने के फैसले के खिलाफ दाखिल याचिका पर केंद्र व प्रदेश सरकार से जवाब जवाब तलब किया है। न्यायमूर्ति जेजे मुनीर ने अनिल व सुरेंद्र राही की याचिका पर यह आदेश दिया। याचिका पर अगली सुनवाई 16 जुलाई को होगी।

याची अधिवक्ता ने उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव द्वारा 24 अप्रैल 2020 को जारी किए गए आदेश को गैरकानूनी व असंवैधानिक बताते हुए चुनौती दी है। उस आदेश में सभी सरकारी कर्मियों व पेंशन भोगियों को दिया जाने वाला महंगाई भत्ता व महंगाई राहत पर जनवरी 2020 से जून 2021 तक रोक लगाई गई है। शासन का कहना है कि कोविड-19 से उत्पन्न वित्तीय संकट के चलते सभी सरकारी कर्मचारियों (शिक्षण संस्थानों, शहरी निकायों) व पेंशन भोगियों के अनुमन्य महंगाई भत्ते व महंगाई राहत की किस्तों का भुगतान नहीं किया जाएगा।

याची अधिवक्ता ने कहा है कि इस भुगतान को रोकने का अधिकार सिर्फ संविधान के अनुच्छेद 360 के तहत राष्ट्रपति में निहित है, जो कि वित्तीय आपातकाल लगाकर यह आदेश पारित कर सकते हैं। केंद्र सरकार द्वारा 11 मार्च को नोटिफाइड डिजास्टर (अधिसूचित आपदा) घोषित किया जा चुका है। इसके बाद किसी वित्तीय संकट का समाधान डिजास्टर मैनेजमेंट एक्ट के प्रावधानों में निहित है। इस आदेश के द्वारा प्रदेश के लाखों कर्मचारियों और पेंशन भोगियों के समक्ष आर्थिक संकट का खतरा उत्पन्न हो गया है।

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