एचबीएनसी कार्यक्रम फ्लाप, एक माह में 32 बच्चों जा चुकी है जान
स्वास्थ्य विभाग के आंकड़े पर जाए तो पिछले माह कौशांबी जनपद की अस्पतालों में कुल 2970 ब'चें ने जन्म लिया है और इसमें 32 ब'चों की मौत हो गई है।
प्रयागराज : कौशांबी जनपद में मातृ व शिशु मृत्युदर में कमी लाने के लिए स्वास्थ्य स्वास्थ्य विभाग की ओर से भले ही होम बेस्ड न्यूबार्न केयर कार्यक्रम चलाया जा रहा है, लेकिन जागरूकता के अभाव में जन्म के बाद बच्चे निमोनिया, दस्त व संक्रामण बीमारी हो रहे हैं और उनकी मौत भी हो रही है। अब यदि स्वास्थ्य विभाग के आंकड़े पर जाए तो ही दिन एक बच्चे की मौत हो रही है। इसकी रिपोर्ट सीएमओ ने शासन को भेजी तो प्रमुख सचिव स्वास्थ्य ने नाराजगी जाहिर किया। साथ ही सीएमओ को निर्देश दिया कि शिशु मृत्युदर में कमी लाई जाए।
राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत जनपद में एचबीएनसी कार्यक्रम चलाया जा रहा है। इसके तहत जन्म के बाद 42 दिन तक शिशु की विशेष देखभाल करना होता है। इसकी जिम्मेदारी प्रभारी चिकित्सा अधिकारी, स्टाफ नर्स, एएनएम व आशाओं को सौंपी गई है। स्वास्थ्य कर्मियों को स्पष्ट निर्देश भी दिया गया है कि जन्म के बाद 42 दिन तक शिशुओं की देखभाल सही तरीके से की जाए। इन दौरान छह बार प्रसूताओं के घर पहुंच कर नवजात शिशुओं का स्वास्थ्य परीक्षण करें और बीमारी का लक्षण दिखने पर बच्चों का उपचार भी कराएं।
स्थानीय इलाज से राहत न मिले। तो सीएचसी व पीएचसी के लिए रेफर किया जाए, लेकिन ऐसा नहीं हो रहा है। स्वास्थ्य विभाग के आंकड़े पर जाए तो पिछले माह जनपद की अस्पतालों में कुल 2970 बच्चें ने जन्म लिया है और इसमें 32 बच्चों की मौत हो गई है। शिशु मृत्युदर को लेकर शासन गंभीर हो गया है। कमी लाने के लिए सीएमओ को आवश्यक निर्देश भी दिया गया है। इन बीमारी से मर रहे बच्चे :
स्वास्थ्य विभाग के सर्वे के मुताबिक जिन बीमारियों से नवजात शिशुओं की मौत हो रही है। निमोनिया, कम वजन, दस्त व संक्रामण शामिल है। बच्चों को इन बीमारियों के बचाने के लिए स्वास्थ्य विभाग की ओर से जागरूकता अभियान भी चलाया जा रहा है, लेकिन यह महज कागजों में सीमित है। दस लाख हो चुका खर्च :
राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत जनपद में एचबीएनसी कार्यक्रम चलाया जा रहा है। इसके तहत जन्म के बाद 42 दिन तक देखभाल करने व बच्चों को समय पर टीकाकरण के नाम पर 250 आशाओं को प्रोत्साहन धनराशि दी जाती है। इस अभियान के तहत अब तक दस लाख 17 हजार रुपये खर्च किया जा चुका है।