Eco Friendly Solar Cell को फूल और सब्जी से तैयार किया गया है, यह है विशेषता Prayagraj News

रंगीन फूल सूर्य की रोशनी को खींचने में सहायक रहते हैं। इसके अलावा बींस (ग्वार) की फली और आलू से स्टार्च निकालकर सॉलिड इलेक्ट्रोलाइट का इस्तेमाल किया गया है।

By Brijesh SrivastavaEdited By: Publish:Sat, 25 Jan 2020 09:47 AM (IST) Updated:Sun, 26 Jan 2020 07:49 AM (IST)
Eco Friendly Solar Cell को फूल और सब्जी से तैयार किया गया है, यह है विशेषता Prayagraj News
Eco Friendly Solar Cell को फूल और सब्जी से तैयार किया गया है, यह है विशेषता Prayagraj News

प्रयागराज, जेएनएन। बिजली के दामों में लगातार हो रही बढ़ोत्तरी के बीच एक ऐसे इकोफ्रेंडली सोलर सेल पर शोध हुआ है, जो बाजार में सस्ती कीमत पर मिलेगा। यह सोलर सेल इलाहाबाद केंद्रीय विश्वविद्यालय (इविवि) के संघटक महाविद्यालय चौधरी महादेव प्रसाद (सीएमपी) डिग्री कॉलेज की शोध छात्रा प्रियंका चावला ने तैयार किया है। यह शोध रसायन विज्ञान विभाग की एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. मृदुला त्रिपाठी के निर्देशन में पूरा किया है। यह सोलर सेल फलों और फूलों से तैयार किया गया है। यह जल्द ही आम लोगों के लिए बाजारों में भी उपलब्ध होगा।

सिलिकॉन आधारित सोलर सेल के नुकसान से मिलेगी निजात

डॉ. मृदुला ने बताया कि बाजारों में उपलब्ध सिलिकॉन आधारित सोलर सेल महंगे और नुकसानदायक होते हैं। ऐसे में फल, फूल और सब्जियों से इकोफ्रेंडली सोलर सेल तैयार करना शुरू किया। इसमें तमाम रंगीन फूलों के अलावा चुकंदर, पालक, और स्ट्राबेरी का इस्तेमाल किया है। रंगीन फूल सूर्य की रोशनी को खींचने में सहायक रहते हैं। इसके अलावा बींस (ग्वार) की फली और आलू से स्टार्च निकालकर सॉलिड इलेक्ट्रोलाइट का इस्तेमाल किया गया है। साथ ही नेचुरल इलेक्ट्रोड कॉर्बन का भी प्रयोग किया गया है। तीन महीने में इसे तैयार किया गया। यह बिजली की बढ़ती महंगाई की समस्या तो दूर करेगा ही, साथ ही सिलिकॉन आधारित सोलर सेल से होने वाले नुकसान से भी इंसान को बचाने में कारगर होगा। इस प्रोजेक्ट के लिए डॉ. मृदुला और डॉ. प्रियंका लंदन के किंग्स्टन युनिवर्सिटी में प्रशंसा पा चुकी हैैं। 

तीन संस्थानों ने दिया 49 लाख अनुदान

डॉ. मृदुला ने बताया कि इस प्रोजेक्ट को तैयार करने के लिए तीन संस्थानों ने मिलकर उन्हें 49 लाख रुपये अनुदान दिया। भाभा एटॉमिक रिसर्च सेंटर ने 20 लाख रुपये, डिपार्टमेंट ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी (डीएसटी) ने 23 लाख रुपये और लखनऊ स्थित काउंसिल ऑफ साइंंस एंड टेक्नोलॉजी (सीएसटी) ने छह लाख रुपये दिए। यही नहीं, प्रोजेक्ट को विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) के काउंसिल ऑफ साइंटिफिक एंड इंडस्ट्रियल रिसर्च (सीएसआइआर) के तहत तीन साल तक शोध छात्रा को फेलोशिप दिए जाने के लिए चुना गया है।

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