संगम तीरे भी तृणमूल-भाजपा की चर्चा गर्म, हिंदी भाषी क्षेत्रों में प्रचार के लिए बुलाए जा रहे हैं बंगभाषी लोग

पश्चिम बंगाल में चुनावी बयार पूरे रौ में है। नेताओं की जुबानी जंग से माहौल गर्म है उस गर्मी से संगमनगरी अछूती नहीं है। शहर में बसे बंगभाषी समुदाय के लोग पश्चिम बंगाल के निवासी अपने रिश्तेदारों नातेदारों से लगातार संपर्क बनाए हैं।

By Ankur TripathiEdited By: Publish:Tue, 16 Mar 2021 08:00 AM (IST) Updated:Tue, 16 Mar 2021 08:00 AM (IST)
संगम तीरे भी तृणमूल-भाजपा की चर्चा गर्म, हिंदी भाषी क्षेत्रों में प्रचार के लिए बुलाए जा रहे हैं बंगभाषी लोग
संगमनगरी में रहने वाले रिश्तेदारों से संपर्क कर प्रचार के लिए बुला रहे हैं ताकि हिंदीभाषी वोटर साधे जा सके।

प्रयागराज, जेएनएन। पश्चिम बंगाल में चुनावी बयार पूरे रौ में है। नेताओं की जुबानी जंग से माहौल गर्म है, उस गर्मी से संगमनगरी अछूती नहीं है। शहर में बसे बंगभाषी समुदाय के लोग पश्चिम बंगाल के निवासी अपने रिश्तेदारों, नातेदारों से लगातार संपर्क बनाए हैं। वहीं, पश्चिम बंगाल में सक्रिय नेता संगमनगरी में रहने वाले रिश्तेदारों से संपर्क कर प्रचार के लिए बुला रहे हैं ताकि हिंदीभाषी वोटर साधे जा सके। 

अपने रिश्तेदारों व संबंधियों से लगातार बनाए हुए हैं संपर्क

बंगाली सोशल एंड कल्चरल एसोसिएशन के सचिव शंकर चटर्जी बताते हैं कि टालीगंज में साली तापसी चटर्जी, कोलकाता में भाई आलोक बनर्जी, बहन कविता चक्रवर्ती सहित कई रिश्तेदार हैं। सबसे चुनाव पर बात होती है। बताते हैं कि कटमनी, बेरोजगारी, भ्रष्टाचार व एक वर्ग विशेष को अधिक महत्व देना चुनाव का मुद्दा है। इस पर तृणमूल कांग्रेस को भाजपा कड़ी टक्कर दे रही है। ऐसा ही दावा समाजसेवी मोहित भट्टाचार्या का है। कहते हैं कि अपनों के बीच प्रचार का मौका मिलेगा तो जरूर जाउंगा। 

चोट से नहीं मिलेगा वोट : तपन

मां कालीबाड़ी मंदिर के पुजारी तपन भट्टाचार्या का दावा है कि तृणमूल कांग्रेस व भाजपा के नेताओं ने बुलाया है, वो चाहते हैं कि मैं हिंदी भाषी क्षेत्रों व अपने रिश्ते-नातेदारों से उनके लिए वोट मांगू। तपन बताते हैं कि ममता बनर्जी से 10 साल पहले लोगों का जो जुड़ाव था वो अब नहीं है। कोलकाता, सिंगूर, नंदीग्राम, पूर्व मेदिनीपुर में रहने वाले रिश्तेदारों का कहना है कि ममता खुद को घायल दिखाकर समर्थन पाना चाहती हैं। लेकिन, आम लोगों में यह मुद्दा नहीं है। प्रयागराज में करीब डेढ़ लाख आबादी वाले बंगभाषी कर्नलगंज, दारागंज, कीडगंज, मोहत्सिमगंज, साउथ मलाका, लूकरगंज, राजरूपपुर, गोविंदपुर, सिविल लाइंस में बुहतायत में हैं। 

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