वादा खिलाफी के विरोध में सड़क पर उतरे कांग्रेसी, किया प्रदर्शन

कांग्रेस पदाधिकारियों ने केंद्र में मोदी सरकार के खिलाफ प्रदर्शन किया। इस दौरान वक्‍ताओं ने कहा कि सरकार वादा खिलाफी कर रही है और जनता उनसे जवाब मांग रही है।

By Brijesh SrivastavaEdited By: Publish:Sun, 11 Nov 2018 12:51 PM (IST) Updated:Sun, 11 Nov 2018 12:51 PM (IST)
वादा खिलाफी के विरोध में सड़क पर उतरे कांग्रेसी, किया प्रदर्शन
वादा खिलाफी के विरोध में सड़क पर उतरे कांग्रेसी, किया प्रदर्शन

प्रयागराज : केंद्र की भाजपा सरकार के खिलाफ शहर कांग्रेस कमेटी के कार्यकर्ताओं ने सड़क पर उतर कर प्रदर्शन किया। सिविल लाइंस स्थित सुभाष चौराहे पर नारेबीजी की।

  शहर कांग्रेस के कार्यवाहक अध्यक्ष नफीस अनवर ने कहा कि राफेल सौदा, नोटबंदी, बढ़ती महंगाई जैसे मुद्दों पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चुप्पी साधे हुए हैं, जबकि देश की जनता उनसे जवाब मांग रही है। प्रदेश प्रवक्ता जावेद उर्फी ने कहा कि केंद्र सरकार अपनी नाकामी छुपाने के लिए धार्मिक मुद्दों को उछाल रही है। प्रदेश महासचिव मुकुंद तिवारी ने कहा कि देश में बेरोजगारी बढ़ रही है पर मोदी सरकार ने अभी तक इसे कम करने का कोई ठोस कदम नहीं उठाया है।

 प्रदर्शन करने वालों में शौकत अली, हसीब अहमद, रजिया सुल्तान, मो. शारिक, सुशील कुमार, जितेंद्र तिवारी, अजहर वारसी, सुरेश यादव, रजनीश पांडेय, राजेश निषाद, इशरत अली, केके अग्रहरि, इरफानुलहक, अनिल चौधरी, तालिब अहमद आदि रहे।

'नोटबंदी प्रधानमंत्री मोदी का निष्ठुर व अहंकारी निर्णय' :

कांग्रेस के उत्तराखंड प्रभारी व शहर उत्तरी के पूर्व विधायक अनुग्रह नारायण सिंह ने नोट बंदी के निर्णय को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का अहंकारी, निष्ठुर व डिजिटल विदेशी-देशी कंपनियों को धंधा देने वाला बताया। कहा कि देश की 86 फीसद करेंसी को एक रात में घोषणा कर बंद करना पूरी व्यवस्था को ठप करने जैसा रहा। वह अशोक नगर स्थित एक होटल में वह पत्रकारों से वार्ता कर रहे थे। उन्होंने कहा कि मोदी ने नोटबंदी के जो फायदे गिनाए थे वो तो हुए नहीं। विदेशों से कालाधन भी वापस नहीं आया। साथ ही देश में आतंकी गतिविधियां व नक्सल गतिविधियां भी कम नहीं हुईं। 15 लाख 36 हजार करोड़ रुपये के लगभग बैंकों में वापस हुए धन को कालाधन बताना देशवासियों को धोखा देने जैसा है। वर्तमान में डगमगाती सरकार द्वारा आरबीआइ से 3.60 लाख करोड़ रुपये की जबरन मांग करना संवैधानिक संस्थाओं में हस्तक्षेप को दर्शाता है।

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