Allahabad University : स्थायी कुलपति के चयन में फंसा पेच, शिक्षा मंत्रालय ने जवाब-तलब किया

इलाहाबाद विश्वविद्यालय के स्थायी कुलपति का चयन अधर में लटक गया है। शिकायत पर शिक्षा मंत्रालय ने सभी दावेदारों की अर्हता के संबंध में रजिस्ट्रार को पत्र भेज कर जवाब-तलब किया है।

By Brijesh SrivastavaEdited By: Publish:Wed, 26 Aug 2020 09:03 AM (IST) Updated:Wed, 26 Aug 2020 01:42 PM (IST)
Allahabad University : स्थायी कुलपति के चयन में फंसा पेच, शिक्षा मंत्रालय ने जवाब-तलब किया
Allahabad University : स्थायी कुलपति के चयन में फंसा पेच, शिक्षा मंत्रालय ने जवाब-तलब किया

प्रयागराज, जेएनएन। इलाहाबाद विश्वविद्यालय में स्‍थायी कुलपति पद के लिए देश भर से 413 शिक्षाविदों के आवेदन मिले थे। कुछ समय पहले सर्च कमेटी ने स्क्रीनिंग के बाद 15 शिक्षाविदों को ऑनलाइन साक्षात्कार के लिए आमंत्रित किया। साक्षात्कार प्रक्रिया 21 से 25 अगस्त तक चली। इसमें इविवि से जुड़े चार शिक्षक भी शामिल हैैं। कहा जा रहा है कि इविवि से जुड़े एक दावेदार मानक की कसौटी पर खरे नहीं उतर रहे हैैं।

कुछ सशक्त दावेदारों को झटका भी लग सकता है

इलाहाबाद विश्वविद्यालय (इविवि) में स्थायी कुलपति के चयन का मामला अभी अधर में ही लटका है। इसमें पेच फंस गया है। इससे कुछ सशक्त दावेदारों को झटका भी लग सकता है। ऐसा इसलिए क्‍योंकि शिक्षा मंत्रालय ने दावेदारों की शैक्षिक अर्हता के संबंध में इविवि समेत विभिन्न विश्वविद्यालयों के रजिस्ट्रार से जवाब तलब किया है।

मंत्रालय को पत्र भेजकर आपत्ति दर्ज कराई गई थी

कुछ लोगों ने गोपनीय तरीके से मंत्रालय को पत्र भेजकर आपत्ति दर्ज कराई थी। इस पर मंत्रालय ने फौरन अभिलेखों की पड़ताल शुरू करा दी। शार्ट लिस्टेड सभी 15 दावेदारों से संबंधित विश्वविद्यालयों के रजिस्ट्रार को पत्र भेज उनकी शैक्षिक अर्हता संबंधी अभिलेख तलब कर लिए गए। मंत्रालय ने यह भी स्पष्ट किया है कि कुलपति चयन में देरी न हो, इसलिए फौरन जवाब दिया जाए। इविवि से जुड़े सूत्रों का कहना है कि यहां से चारों दावेदारों के शैक्षिक अर्हता संबंधी अभिलेख भेज दिए गए हैैं। ऑन दी रिकार्ड अफसरों ने कुछ भी बोलने से इन्कार कर दिया।

लिफाफे में बंद हुआ नाम

इविवि के नए कुलपति के लिए ऑनलाइन मोड में साक्षात्कार की मंगलवार को प्रक्रिया पूरी हो गई। नए कुलपति का नाम लिफाफे में बंद हो गया। अब यह लिफाफा विजिटर यानी राष्ट्रपति के पास भेजा जाएगा। यदि अभिलेखों की पड़ताल में कोई पेच न फंसा तो जल्द ही इविवि को स्थायी कुलपति मिल जाएगा।

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