जवाब न मिलने पर इलाहाबाद हाई कोर्ट सख्त, केंद्र और राज्य सरकार पर लगाया हर्जाना; जानें पूरा मामला...

कई बार समय देने के बावजूद जवाब न मिलने पर हाई कोर्ट ने ने अलग-अलग मामलों में केंद्र व राज्य सरकार महानिबंधक कार्यालय हाई कोर्ट कालेज की प्रबंध समिति को हर्जाना जमा करने शर्त पर जवाबी हलफनामा दाखिल करने का समय देते हुए कड़ा संदेश दिया है।

By Umesh TiwariEdited By: Publish:Thu, 03 Dec 2020 08:23 PM (IST) Updated:Thu, 03 Dec 2020 08:23 PM (IST)
जवाब न मिलने पर इलाहाबाद हाई कोर्ट सख्त, केंद्र और राज्य सरकार पर लगाया हर्जाना; जानें पूरा मामला...
कई बार समय देने के बावजूद जवाब न मिलने पर इलाहाबाद हाई कोर्ट ने सख्त रुख अख्तियार कर लिया है।

प्रयागराज, जेएनएन। कई बार समय देने के बावजूद जवाब न मिलने पर इलाहाबाद हाई कोर्ट ने सख्त रुख अख्तियार कर लिया है। कोर्ट ने अलग-अलग मामलों में केंद्र व राज्य सरकार, महानिबंधक कार्यालय हाई कोर्ट, कालेज की प्रबंध समिति को हर्जाना जमा करने शर्त पर जवाबी हलफनामा दाखिल करने का समय देते हुए कड़ा संदेश दिया है। यह आदेश न्यायमूर्ति विवेक अग्रवाल ने कई ऐसी याचिकाओं पर दिया है जिनमें कई बार समय देने के बाद भी जवाबी हलफनामा दाखिल नहीं किया गया। 

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने ब्रजेश की याचिका पर भारत सरकार के अधिवक्ता प्रमोद कुमार सिंह को 26 अगस्त 2020 को जवाब दाखिल करने का समय दिया गया था। इसके बाद याचिका 29 सितंबर, 19 अक्टूबर व एक दिसंबर 2020 को सूचीबद्ध की गयी। लेकिन, जवाब दाखिल नहीं किया गया। केंद्र सरकार के अधिवक्ता भी हाजिर नहीं हुए तो कोर्ट ने पांच हजार रुपये हर्जाना लगाकर दो हफ्ते में जवाब मांगा है। याचिका 16 दिसंबर को सुनी जाएगी।

ऐसे ही इंद्रजीत सिंह केस में राज्य सरकार के अधिवक्ता को 28 फरवरी 2020 को जवाब दाखिल करने का समय दिया गया। इसके बाद याचिका 17 मार्च, 15 जून, 27 जुलाई, एक सितंबर, एक अक्टूबर और एक दिसंबर को सूचीबद्ध हुई। लेकिन, जवाब दाखिल नहीं किया गया। अब कोर्ट ने राज्य सरकार को 10 हजार रुपये का हर्जाना जमा करने की शर्त पर दो हफ्ते में जवाब दाखिल करने का समय दिया है। हर्जाना राशि महानिबंधक वसूल कर हाईकोर्ट विधिक सेवा समिति में जमा कराएंगे। अगली सुनवाई 15 दिसंबर को होगी।

इसी प्रकार अमरदीप कुमार मौर्य केस में राज्य सरकार ने जवाब दाखिल कर दिया। याची ने प्रत्युत्तर हलफनामा दाखिल करने का समय मांगा। प्रबंध समिति से भी 12 दिसंबर 2019 को जवाब मांगा गया था। केस 14 फरवरी, 24 सितंबर, 23 नवंबर व एक दिसंबर 2020 को सूचीबद्ध था। लेकिन, जवाब नहीं आया। इस पर कोर्ट ने प्रबंध समिति को दो हफ्ते का समय देते हुए 10 हजार रुपये हर्जाना जमा करने की शर्त लगायी है। कोर्ट ने कहा कि यदि जवाब नहीं आया तो जवाब दाखिल करने का अधिकार जब्त कर लिया जाएगा।

ऐसे ही लालजी सोनकर की याचिका पर हाईकोर्ट महानिबंधक कार्यालय को संशोधित याचिका पर एक नवंबर 2019 को जवाब देने का निर्देश जारी किया है। जवाब नहीं दिया। इसके बाद याचिका 18 नवंबर, 26 नवंबर, 11 दिसंबर, 19 दिसंबर 2019, नौ जनवरी, 27 जनवरी, 13 फरवरी, 24 फरवरी, आठ अक्टूबर व एक दिसंबर 2020 को सूचीबद्ध किया गया। लेकिन, जवाबी हलफनामा दाखिल नहीं किया गया। कोर्ट ने पांच हजार रुपये का हर्जाना लगाकर सात दिन में जवाब मांगा है। कोर्ट ने कहा कि जवाब दाखिल करने में देरी करने वाले अधिकारी से हर्जाना जमा कराया जाय। जवाब नहीं दिया तो महानिबंधक आठ दिसंबर को हाजिर हों।

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